हिन्दुओं द्वारा किए जाने वाले दैनिक यज्ञ को औपासन कहते हैं। यह अनुष्ठान स्मार्त अग्नि पर विहित है। इनको वही व्यक्ति संपादित कर सकता है जिसने गृह्यसूत्र द्वारा प्रतिपादित विधान के अनुसार स्मार्त अग्नि का परिग्रहण किया हो। स्मार्त अग्नि का विधान विवाह के समय अथवा पैतृक संपत्ति के विभाजन के समय हो सकता है। औपासन, गृह्य अथवा आवसथ्य, ये स्मार्त अग्नि के नामांतर हैं।