कंडाली
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कंडाली अंग्रेजी में नेटल (Nettle) के नाम से जानी जाने वाली यह वनस्पति नेपाल व हिमालय क्षेत्र की मध्य पहाड़ी क्षेत्र तथा उपत्यका में मिलने वाले अट्रिक्यसी परिवार का जलानेवाला झाड़ है। इसमें औषधिय गुण रहा होता है इसे उबाल के खाया जा सकता है। इसमें होने वाले रोम जैसे पतले कांटे हो जाने वाले फर्मिक अम्ल (Formic acid) के वजह से जलाने वाले हिस्टामाइन (Histamine) होता है जो सुजाने वाला और पीड़ादायक होता है किन्तु इसे पानी में उबालने के बाद इन तत्वों का नाश हो जाता है। इसके इन्ही दुर्गुणों के कारण पहले यातना देने तथा सजा देने के लिए इसका प्रयोग किया जाता था।
Stinging nettle | |
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Urtica dioica subsp. dioica | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | वनस्पति |
विभाग: | Magnoliophyta |
वर्ग: | Magnoliopsida |
गण: | Rosales |
कुल: | Urticaceae |
वंश: | Urtica |
जाति: | U. dioica |
द्विपद नाम | |
Urtica dioica L. |
इसमें मिलने वाले विटामिन ए,विटामिन सी, विटामिन डी लौहतत्व (Iron), पोटासियम, म्यागानिज, कैल्सियम जैसे पौष्टिक पदार्थ के कारण उत्तरी तथा पूर्वी युरोप में इसकी करी (Nettle soup) लंबे समय से प्रचलित रही है। इसमें २५% सम्म् प्रोटीन होता है इसलिए यह शाकाहारियों की लिए अति उत्तम भोजन है। यह अति मूल्यवान 'गउडा चीज'(Gouda) और यार्ग (Yarg) में स्वाद के लिए प्रयोग किया जाता है। नेपाल की पहाड़ी क्षेत्र में जनसंख्या की वृध्दि तथा अन्य झाड़ों के प्रसार के कारण यह पहले जैसा सभी जगह नहीं मिलता है|