कटोरा भर खून देवकीनंदन खत्री द्वारा रचित हिंदी उपन्यास है। [1] इस लघु उपन्यास में हरिपुर के राजा कर्ण सिंह तथा उसके संतानों की कथा है। कर्ण सिंह अपनी बहादुरी के कारण नेपाल के राजा द्वारा सेनापति और बाद में हरिपुर का स्वतंत्र राजा नियुक्त होता है। उसका मित्र कर्ण सिंह राटु उसे धोखे से मारकर खुद कर्ण सिंह बनकर हरिपुर का राजा बन जाता है। कर्ण सिंह के पुत्र तथा विष से जीवित बच गया कर्ण सिंह मिलकर कर्ण सिंह राटू का रहस्य हरिपुर की प्रजा के सामने उजागर कर अपना बदला पूरा करते हैं और उसके अन्यायों को समाप्त करते हैं। यह चंद्रकांता के पूर्व लिखा गया उपन्यास है।

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  1. देवकीनंदन खत्री- "कटोरा भर खून", शारदा प्रकाशन, नई दिल्ली, १९८४, आवरण पृष्ठ