कण्ठद्वार (glottis) स्वर रज्जुओं के बीच के बीच में स्थित खुले भाग को कहते हैं। बोलते समय स्वर रज्जुओं में कम्पन होती है, जिस से ध्वनि उत्पन्न होती है। कण्ठद्वार को बढ़ाकर या सिकोड़कर ध्वनियाँ बदलती हैं। प्रमुख रूप से केवल कण्ठद्वार के प्रयोग द्वारा उत्पन्न होने वाली ध्वनियाँ काकलीय व्यंजन होती हैं, जिनमें 'ह' की ध्वनि शामिल है।[1][2]

कण्ठद्वार स्वर रज्जुओं के बीच का खुला भाग होता है

इन्हें भी देखें

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  1. Hayes, Bruce (2009). Introductory Phonology. Wiley-Blackwell. ISBN 978-1-4051-8411-3.
  2. De Menezes Lyra, Roberto (1999). "Glottis Simulator". Anesthesia & Analgesia. 88 (6): 1422–3. doi:10.1213/00000539-199906000-00044. PMID 10357358.