कन्हैया मिसल सिख संघ की बारह मिसलों में से एक थी। इसकी स्थापना संधू जाटों ने की थी।[1]

इस मिसल के संस्थापक जय सिंह संधू (खुशाल सिंह के पुत्र) कान्हा गाँव (ज़िला लाहौर) थे; इसलिए यह मिस्ल कन्हैया मिस्ल के नाम से प्रसिद्ध हुई; इस मिस्ल के एक अन्य संस्थापक नेता किंगरा गाँव के अमर सिंह थे।[2] जय सिंह और उनके भाई झंडा सिंह ने (नवाब) कपूर सिंह के जत्थे से दीक्षा ली थी; जब सभी सिख जत्थे ग्यारह मिसलों में संगठित हो गए, तो जय सिंह के जत्थे का नाम कन्हैया मिसल रखा गया।[3]

हकीकत सिंह कन्हैया, जीवन सिंह, तारा सिंह और मेहताब सिंह (चारों जुल्का गांव से, कान्हा गांव से लगभग ६ किमी दूर) भी इस मिसल के वरिष्ठ सेनापति थे।

१७५४ के युद्ध में झंडा सिंह (जय सिंह का भाई) की मृत्यु हो गई; इसके बाद जय सिंह ने झंडा सिंह की विधवा से विवाह कर लिया। जय सिंह एक साहसी सेनापति थे; उन्होंने पठानकोट के आसपास के क्षेत्रों पर हमला किया और पठानकोट, हाजीपुर, दातारपुर, सुजानपुर और मुकेरियां सहित बहुत सारे क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया; १७७० में, उन्होंने जम्मू राज्य के एक बड़े भूभाग को उसके हिन्दू डोगरा शासकों से छीन लिया।

महाराजा रणजीत सिंह के नेतृत्व से पहले १८वीं शताब्दी के अंत में लाहौर पर शासन करने वाले त्रिमूर्तियों में से एक सोभा सिंह कन्हैया मिसल से थे।[4]

  1. "Kanhaiya misl of Sandhu Jats". मूल से 15 August 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 April 2016.
  2. Singha, H. S. (2000). The encyclopedia of Sikhism (over 1000 entries). New Delhi: Hemkunt Publishers. पृ॰ 119. OCLC 243621542. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7010-301-0.
  3. Gupta, Hari Ram (1999–2001). History of the Sikhs. IV - The Sikh Commonwealth or Rise and Fall of Sikh Misls. New Delhi: Munshiram Manoharlal Publishers. पपृ॰ 256–268. OCLC 123308032. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-215-0540-2.
  4. Sheikh, Majid (2015-06-28). "HARKING BACK: Amazing genius of Gujjar Singh and his Lahore 'qila'". DAWN.COM (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-04.

अग्रिम पठन

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