कमर रहमान
कमर रहमान एक भारतीय वैज्ञानिक, पिछले चालीस वर्षों में जो नैनो पार्टिकल के शारीरिक प्रभाव को समझने के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय तौर पर उन्हें एस्बेस्टोसिस, स्लेट धूल के प्रभाव और अन्य घरेलू और पर्यावरण कण प्रदूषण और व्यावसायिक स्वास्थ्य में सुधार के तरीकों पर काम के लिए जाना जाता है। [1]
कमर रहमान | |
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जन्म | शाहजहांपुर |
नागरिकता | भारतीय |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
क्षेत्र | अणुविषाक्तता, फेफड़े के जैव रसायन, जीन विषाक्तता |
संस्थान | लखनऊ विश्वविद्यालय, IITR |
शिक्षा | संत जॉन कालेज, आगरा |
उल्लेखनीय सम्मान | विज्ञान विभूषण पुरुस्कार (2013) |
आजकल वे एमिटी विश्वविद्यालय में अनुसंधान विज्ञान के डीन के रूप में एक काम क्र रही हैं। [2]
रॉस्टॉक विश्वविद्यालय, जर्मनी ने 2009 में उन्हें डॉक्टरेट के मानक पदनाम से सम्मानित किया। [3] डॉ रहमान 600 वर्ष पुराने विश्वविद्यालय से यह सम्मान पाने वाली पहली भारतीय है। उन्होंने खास तौर पर एस्बेस्टोसिस और कई और प्रदूषण तत्वों के विषैलेपन का अध्ययन किया है। उन्होंने काम के स्थान पर महिलाओं के जहरीले रसायनों के संपर्क में आने पर एक फिल्म भी बनाई है।
गूगल स्कालर के अनुसार उनकी सबसे प्रसिद्ध शोध दस्तावेज़ [4] का संदर्भ 350 बार दिया गया है। [5]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Rahman, Qatar. "Lilavathi's Daughters" (PDF). मूल से 16 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 11 October 2014.
- ↑ Rahman, Qatar. "Current position". अभिगमन तिथि 31 October 2014.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ Rahman, Qamar. "Honorary Doctorate". मूल से 15 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 October 2014.
- ↑ Qamar Rahman, Mohtashim Lohani, Elke Dopp, Heidemarie Pemsel, Ludwig Jonas, Dieter G Weiss, and Dietmar Schiffmann "Evidence that ultrafine titanium dioxide induces micronuclei and apoptosis in Syrian hamster embryo fibroblasts."
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 मार्च 2017.