डॉ॰ कमल किशोर गोयनका दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अवकाशप्राप्त प्राध्यापक हैं। उन्होंने वहाँ चालीस वर्ष अध्यापन किया। गोयनकाजी उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द के साहित्य के सर्वोत्तम विद्वान शोधकर्ता माने जाते हैं। मुंशी प्रेमचन्द पर उनकी अनेकों पुस्तकें व लेख प्रकाशित हो चुके हैं। प्रवासी हिन्दी साहित्य को एकत्रित करने, अध्ययन एवं विश्लेषण करने में उनकी अहम भूमिका रही। साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित प्रेमचन्द ग्रंथावली के संकलन एवं सम्पादन में उनका विशेष योगदान है।[1] उन्होंने हिन्दी में हाइकु कवितायें भी लिखी हैं।

चित्र:Kamal kishor goinka.jpg
डॉ॰कमल किशोर गोयनका (सौजन्य से ईविश्वडॉटकॉम)

डॉ॰ कमल किशोर गोयनका को वर्ष 2014 के व्यास सम्मान के लिए चुना गया है। 2012 में प्रकाशित उनकी शोध पुस्तक ‘प्रेमचंद की कहानियों का कालक्रमानुसार अध्ययन’ के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया जाएगा। इसके साथ ढाई लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान की जाती है।[2]

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