करील
यह सुझाव दिया जाता है कि इस लेख का कैर में विलय कर दिया जाए। (वार्ता) अप्रैल 2020 से प्रस्तावित |
करील (करीर )[1]यह एक प्रसिद्ध काँटेदार झाँड़ी है जिसमें पत्ते नहीं होते।[2]यह कंकरीली भूमि में उगने वाली झाड़ी है। यह उष्ण जलवायु का पादप है। जिस समय करील की झाड़ी में पुष्प और फल लगते हैं उस समय इसकी शोभा निराली होती है।
पत्तियां
संपादित करेंपत्तियां काँटों के रूप में होती हैं।
फूल
संपादित करेंइसके पुष्प चार पंखुड़ी वाले लाल रंग के होते हैं।
फल
संपादित करेंकच्चे फल हरे रंग के नीम के फल की तरह और पकने पर लाल हो जाते हैं।
उपयोग
संपादित करेंइस वृक्ष का आयुर्वेदिक उपयोग भी बहुत अधिक है।यह डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयोगी है। कुष्ठरोग तथा अन्य चर्मरोगों में इसका उपयोग रामबाण इलाज के लिए किया जाता है|कच्चे फलों से सब्जी , कढ़ी एवं आचार बनाया जाता है।
महाभारत में करील(करीर )
संपादित करेंमहाभारत पुस्तक ८:कर्ण पर्व के अध्याय ३० के श्लोक २४ में निम्न प्रकार उल्लेख है
- शमी पीलु करीराणां वनेषु सुखवर्त्मसु
अपूपान सक्तु पिण्डीश च खाथन्तॊ मदितान्विताः
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 18 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जुलाई 2016.
- ↑ http://shabdkosh.raftaar.in/Meaning-of-करील-in-Hindi[मृत कड़ियाँ]