करेला या मोमोर्दिका चारैन्टिया कुकुरबिटेसी कुल की एक उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय लता या बेल है जिसे एशिया और कैरेबियाई क्षेत्रोन में इसके खाद्य फल के लिए व्यापक रूप से उगाया जाता है। इसके फलों का स्वाद कड़वा होता है हालाँकि किस्म के अनुसार इसके फलों का आकार और कड़वाहट की तीव्रता बदलती रहती है। करेला की उत्पत्ति भारत में हुई और इसे 14 वीं शताब्दी में चीन में पेश किया गया था। पूर्वी एशिया, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के व्यंजनों में इसका उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है।

करेला
पादप अवयवों का वानस्पतिक चित्रण
वैज्ञानिक वर्गीकरण edit
Unrecognized taxon (fix): Momordiceae
Genus: Momordica
जाति: M. charantia

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द्विपद नाम
Momordica charantia

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L.

दो आधा और दो क्रॉस सेक्शन के साथ एक पूर्ण करेला (मोमोर्डिका चारेंटिया)।
करेले के बीज

वनस्पति संपादित करें

करेला यह द्विलिंगाश्रयी (एक बेलपर नरफूल और मादा फूल आते हैं।) शाखायुक्त वनस्पती है। इसके बुंदे पर खाँच होती है। कोमल भाग अधिक रेशेदार होता है। साधी,पतली और लंबे तणाव के आधारपर यह बेल ऊपर चढती है। पत्ते सादे, वलयाकृती, हस्ताकृती और ५-७ दल में विभाजित होते है। फूल एकलिंगी और पिली होती। है। ५-१० सेंमी लांब, सवृंतावर(लांब देठावर) येतात. कच्ची फळे हिरवी किंवा पांढरी व पक्की फळे गर्द नारिंगी, ५-१५ सेंमी लांब, निलंबी (लोंबकळणारी-suspending), विटीच्या आकाराची व चवीला कडू असून त्यांवर लहान मोठ्या पुटकुळ्या असतात. ती भाजीकरिता उपयुक्त असतात.

परिचय संपादित करें

 
पत्ती
 
करेला का फल
 
करेला का मादा पुष्प
 
पका फल

औषधी उपयोग संपादित करें

करेले का फल ठंडा और पौष्टिक होता है। वह खानेपर पचनक्रिया में सुधार होता है। खाँसी, पित्त, गठिया, त्वचारोग, कुष्ठरोग, बद्धकोष्ठता, मधुमेह विकार पर यह गुणकारी होता है। करेले की सब्जी या करेले का रस नियमित सेवन करने से वजन कम होता है। करेले का ज्यूस मानव शरीर के लिए बहुत लाभकारी होता है करेले अ, ब और क यह जीवनसत्त्व होते हैं। इतर उपयोग करेले के कोमल फल का सब्जी के रुप में पाककृती बनाने के लिए मदत मिलती है। संबधित कहावत करेला ऊपर से नीम चढ़ा।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें