डॉ॰ कर्ण सिंह चौहान वरिष्ठ लेखक और आलोचक हैं। इनकी एक दर्जन से अधिक आलोचना-पुस्तकें, कविता-संकलन, कहानी-संग्रह, यात्रा-वृत्तांत, डायरी और अनुवाद प्रकाशित हैं। मूल रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन किया लेकिन कई वर्षों तक सोफिया विश्वविद्यालय बल्गारिया, सिओल, कोरिया में अतिथि प्रोफैसर के रूप में अध्यापन किया। इनकी समलोचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं।

पूर्ण परिचय

जन्म–तिथि  :   28 फरवरी‚ 1948 को उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर (अब नोएडा) में जन्म।

शिक्षा     

•         स्कूल की पढ़ाई दिल्ली के स्कूलों में।          

•         हिन्दू कालेज‚ दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी में बी.ए. आनर्स और एम॰ए॰।

•         दिल्ली विश्वविद्यालय से एम. लिट. और पी.एच. डी.।  

व्यवसाय    

•         1970 से २०१२ तक विभिन्न पदों पर दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य।

•         1987 से 1991 तक सोफिया विश्वविद्यालय‚ बल्गारिया के प्राच्य विद्या विभाग में अतिथि प्रोफैसर।

•         1999 से 2002 तक सिओल‚ कोरिया में हांकुक विश्वविद्यालय के भारत

विद्या विभाग में अतिथि प्रोफैसर।

•         2009 से 2011 तक पुनः कोरिया के हांकुक विश्वविद्यालय में अतिथि प्रोफैसर।  

लेखन       :  प्रमुख पुस्तकें    

1.       आलोचना के नए मान     (समीक्षा)

2.       साहित्य के बुनियादी सरोकार   (समीक्षा)

3.       प्रगतिवादी आन्दोलन का इतिहास   (समीक्षा)

4.       एक समीक्षक की डायरी    (समीक्षा)

5.       यूरोप में अन्तर्यात्राएं    (यात्रा–वृत्तांत)

6.       अमेरिका के आरपार    (यात्रा–वृत्तांत)

7.       हिमालय नहीं है वितोशा  (कविता–संग्रह)

8.       यमुना कछार का मन   (कहानी–संग्रह)

9.       पहाड़ में फूल : कोरियाई कविता–संग्रह   (अनुवाद)

10.     समकालीन यथार्थवाद : ज्यार्ज लूकाच   (अनुवाद)

11.     इतिहासदृष्टि और ऐतिहासिक उपन्यास : लूकाच (अनुवाद)

12.     लू सुन की चुनी हुई रचनाएं   (अनुवाद)

13.     मेरा जीवन, मेरा समयः पाब्लो नेरुदा (अनुवाद)

अन्य    

•         देश–विदेश की पत्रिकाओं में हिन्दी–अंग्रेजी में 100 से अधिक लेख।

•         यूरोप के अनेक विश्वविद्यालयों में भारतीय साहित्य‚ संस्कृति और दर्शन पर अभिभाषण।

•         वामपंथी राजनीति और साहित्य संगठनों में सक्रिय भागीदारी।