कर्नाटक महिला हिंदी सेवा समिति, बंगलुरु
स्थापना
संपादित करेंसन् १९५३ ई.
संस्था के प्रमुख उद्धेश्य
संपादित करेंहिन्दी प्रचार के साथ भारत की एकता बनाये रखना समिति का प्रधान लक्ष्य है। प्रांतीय भाषा के सहयोग से हिन्दी का विकास करना उसका प्रमुख कार्यक्रम है। जनता में हिन्दी प्रचार करना और उसके लिए॰उचित सामग्री जुटाना समिति के निरन्तर चिन्तन का विषय है।
कार्य
संपादित करेंसंस्था १९५३ से निरन्तर हिन्दी के प्रचार में संलग्न है। संस्था द्वारा हिन्दी प्रचारवाणी नामक पत्रिका का नियमित प्रकाशन किया जा रहा है। इसके अलावा कर्नाटक साहित्य से संबंधित लेख, परीक्षार्थियों के उपयोगी लेख, पुस्तक समीक्षा, प्रश्नोत्तर, सभा समारोह आदि का आयोजन किया जाता है। पत्रिका के लिए॰करीब पाँच हजार प्रचारकों ने आजीवन प्रचारक चन्दा जुटाकर इसके प्रकाशन को नियमित करने में सहयोग दिया है। संस्था द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं के लिए॰पाठ्यक्रमानुसार पुस्तकें तैयार करने के लिए॰साहित्य विभाग कार्यरत है। भारत सरकार से विभिन्न परीक्षाओं के लिए॰स्वीकृत पाठ्यक्रमानुसार पुस्तकें तैयार करने के लिए॰विद्वानों को आमन्त्रित किया जाता है, उनसे परीक्षा स्तर को ध्यान में रखकर पुस्तकों को तैयार किया जाता है। अब तक लगभग ११२ पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है। पाठ्यपुस्तकों के अलावा विविध विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों को ध्यान में रखकर पुस्तकों का निर्माण किया जाता है। परस्पर आदान-प्रदान हेतु कन्नड़ के वरिष्ठ विद्वानों की कृतियों को अनुवाद कराने ए॰ं प्रकाशित कराने का कार्य भी चलता रहता है। बेंगलूर के चामराजपेट में स्थित है।
प्रकाशित पत्रिका
संपादित करेंहिन्दी प्रचारवाणी, (मासिक),
प्रधान सम्पादक : श्रीमती बी.ए॰.शांताबाई
पता : कर्नाटक महिला हिन्दी सेवा समिति, १७८, ४ मैन रोड, चामराजपेट, बेंगलूर-१८ (कर्नाटक)