पात्र (कलाशास्त्र)

(कलाशास्त्र से अनुप्रेषित)

पात्र (कभी-कभी फ़िक्शनल पात्र, कपोलकल्पित पात्र या काल्पनिक पात्र के रूप में प्रसिद्ध) किसी कहानी (जैसे कि उपन्यास, नाटक, टेलीविजन शृंखला, फ़िल्म, या वीडियो गेम) में कोई व्यक्ति या कोई अन्य जीव होता हैं।[1][2][3] पात्र पूरी तरह कपोलकल्पित हो सकता है या वास्तविक जीवन के किसी व्यक्ति पर आधारित हो सकता है, जिस मामले में "कपोलकल्पित" बनाम "वास्तविक" पात्र का भेद किया जा सकता हैं।[2]

इन्हें भी देखें

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  1. Matthew Freeman (2016). Historicising Transmedia Storytelling: Early Twentieth-Century Transmedia Story Worlds. Routledge. पपृ॰ 31–34. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1315439506. मूल से 14 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि January 19, 2017.
  2. Maria DiBattista (2011). Novel Characters: A Genealogy. John Wiley & Sons. पपृ॰ 14–20. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1444351559. मूल से 14 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि January 19, 2017.
  3. Baldick (2001, 37) and Childs and Fowler (2006, 23). See also "character, 10b" in Trumble and Stevenson (2003, 381): "A person portrayed in a novel, a drama, etc; a part played by an actor".

बाहरी कड़ियाँ

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चरित्र की महत्ता एवं अपरिहरता निशचय ही यह जिज्ञासा उत्पन्न करती है कुछ शिक्षाशास्त्री चरित्र का अर्थ आंतरिक दृढ़ता और व्यक्तित्व की एकन्तासे लगाते है कि चरिवान मनुष्य किसी बाहरी दबाव से भयभीत हुए बिना अपने सिद्धन्तो तथा आदर्शो के अनुरूप कार्य करता है लेकिन उसके सिद्दांत नैतिक और अनैतिक दोनों हो सकते है अतः मात्र चरित्र ही पर्याप्त नही है चरित्र को अनिवार्य रूप से नैतिक होना चाहिए इस सन्दर्भ मे हैंडसन लिखते है -"इसका अर्थ यह है कि मनुष्यों को उन सिद्धांतो के अनुसार काम करना सीखना चाहिए, जिनसे उनमे सर्वोत्तम व्यक्तित्व का विकास हो।"