कालिंपोंग

पश्चिम बंगाल का कालिंपोंग जिले मे एक नगरपालिका
(कलिमपोंग से अनुप्रेषित)

कालिंपोंग पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग जिले में स्थित है। कलिंगपोंग 1700 ई. तक सिक्किम का एक भाग था। 18वीं शताब्‍दी के प्रारम्‍भ में भूटान के राजा ने इस पर कब्‍जा कर लिया था। आंग्‍ल-भूटान युद्ध के बाद 1865 ई. में इसे दार्जिलिंग में मिला दिया गया। 19 वीं शताब्‍दी के उत्तरार्द्ध में यहां स्‍काटिश मिशनरियों का आगमन हुआ। 1950 ई. तक यह शहर ऊन का प्रमुख व्‍यापार केंद्र था। वर्तमान में यह शहर पश्चिम बंगाल का प्रमुख हिल स्‍टेशन है।

कालिंपोंग
—  शहर  —
कालिंपोंग का विहंगम दृश्य। पृष्ठभूमि में हिमालय पर्वतमाला
कालिंपोंग का विहंगम दृश्य। पृष्ठभूमि में हिमालय पर्वतमाला
कालिंपोंग का विहंगम दृश्य। पृष्ठभूमि में हिमालय पर्वतमाला
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य पश्चिम बंगाल
ज़िला दार्जीलिंग
अध्यक्ष नोर्देन लामा[1]
जनसंख्या
घनत्व
40,143 (2001 के अनुसार )
• 38.01/किमी2 (98/मील2)
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
1,056.5 कि.मी² (408 वर्ग मील)
• 1,247 मीटर (4,091 फी॰)

निर्देशांक: 27°04′N 88°28′E / 27.06°N 88.47°E / 27.06; 88.47

मोरगन हाउस, कलिंगपोंग

मुख्य आकर्षण

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कलिंगपोंग एक बहुत ही व्‍यस्‍त शहर है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि दार्जिलिंग और गंगटोक इसी शहर से होकर जाया जा सकता है। यहां आप अपनी व्‍यस्‍त जिंदगी से विश्राम लेकर आराम के कुछ पल व्‍यतीत कर सकते हैं। गाड़ी से इस शहर को एक दिन में घूमा जा सकता है। इस शहर को पैदल घूमने के लिए दो या तीन दिन आवश्‍यक है। कलिंगपोंग पर्वोत्तर हिमालय के पीछे स्थित है। यहां से कंचनजंघा श्रेणी त‍था तिस्‍ता नदी की घाटी का बहुत सुंदर नजारा दिखता है।

गोंपा रोम्‍प

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थोंगशा गोंपा कलिंगपोंग में स्‍ि‍थत सभी मठों में सबसे पुराना है। इसे भूटानी मठ के नाम से जाना जाता है। इस मठ की स्‍थापना 1692 ई. में हुई थी। इस मठ का मूल संरचना अंग्रेजों के यहां आगमन से पहले आंतरिक झगड़े में नष्‍ट हो गया था। जोंग डोग पालरी फो ब्रांग गोंपा मठ को दलाई लामा ने 1976 ई. में आम जनता को समर्पित किया। यह मठ दूरपीन दारा चोटी पर स्थित है। इस मठ में बौद्धों का प्रसिद्ध ग्रंथ कंग्‍यूर' रखा हुआ है। 108 भागों वाले इस ग्रंथ्‍ा को दलाई लामा तिब्‍बत से अपने साथ लाए थे। इस मठ के प्रार्थना कक्ष की दीवारों पर बहुत ही सुंदर चित्रकारी की गई है। इस मठ की ऊपरी मंजिल में त्रिआयामी मंडला है। इस मठ के नजदीक ही थारपा चोइलिंग गोंपा मठ है। यह मठ तिब्‍बतियन बौद्ध धर्म के जेलूपा संप्रदाय से संबंधित‍ है।

औपनिवेशिक विरासतें

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कलिंगपोंग में अभी भी बहुत से औपनिवेशिक भवन है। इन भवनों में मुख्‍यत: बंगला तथा पुराने होटल शामिल हैं। ब्रिटिश ऊनी व्‍यापारियों द्वारा बनाए गए ये भवन मुख्‍य रूप से रिंगकिंगपोंग तथा हिल टॉप रोड पर स्थित है। इन भवनों में मोरगन हाउस, क्राकटी, गलिंका, साइदिंग तथा रिंगकिंग फॉर्म शामिल है। मोरगन हाउस तथा साइदिंग को सरकार ने अपने नियंत्रण में लेकर पर्यटक आवास के रूप में तब्‍दील कर दिया है। इन भवनों के नजदीक ही संत टेरेसा चर्च है। इस चर्च को स्‍थानीय कारीगरों ने प्रसिद्ध गोंपा मठ की अनुकृति पर बनाया है।

रेशम उत्‍पादन अनुसंधान केंद्र

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कलिंगपोंग फूल उत्‍पादन का प्रमुख केंद्र है। यहां देश का 80 प्रतिशत ग्‍लैडीओली का उत्‍पादन होता है। इसके अलावा यह आर्किड, कैकटी, अमारिलिस, एंथूरियम तथा गुलाबों के फूल के लिए प्रसिद्ध है। गेबलेस तथा धालिस का भी यहां बहुतायत मात्रा में उत्‍पादन होता है। यहां प्रसिद्ध रेशम उत्‍पादन अनुसंधान केंद्र (03552-255291/ 928) भी है। यह केंद्र दार्जिलिंग जाने के रास्‍ते पर स्थित है।

यहां प्रसिद्ध आर्मी गोल्‍फ क्‍लब है। इसके अलावा यहां तिस्‍ता नदी में रोमांचक खेल राफ्टिंग की शुरुआत की गई है। रोमांचक खेल पसंद करने वाले को यहां जरुर आना चाहिए। यह स्‍थान तिस्‍ता बाजार के नजदीक स्थित है। अगर आप इस खेल का पूरा आनन्‍द लेना चाहते हैं तो यहां एक पूरा दिन देना होगा। इस खेल का आनन्‍द लेने का सबसे अच्‍छा समय मध्‍य नंवबर से फरवरी त‍क है। इसके अलावा हाइकिंग खेल का मजा तिस्‍ता नदी की घाटी में सालों भर लिया जा सकता है।

तिस्‍ता नदी पर प्रसिद्ध शांको रोपवे है। यह रोपवे 120 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस रोपवे का निर्माण स्‍वीडन सरकार की मदद से किया गया था। यह रोपवे तिस्‍ता और रीली नदी के बीच बना हुआ है। इस रोपवे की कुल लंबाई 11.5 किलोमीटर है। इस रोपवे के कारण समथर पठार जो कि कलिंगपोंग से 20 किलोमीटर की दूरी पर सिलीगुड़ी जाने के रास्‍ते पर स्थित है, जाना आसान हो गया है। बिना रोपवे के यहां जाने में एक दिन का समय लग जाता है।

निकटवर्ती स्थान

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लावा, कलिंगपोंग

यह कलिंगपोंग से 34 किलोमीटर दूर है। यह जगह कलिंगपोंग से भूटान के पुराने व्‍याप‍ारिक मार्ग पर स्थित है। यह स्‍थान चारों तरफ घने शंकुधारी वनों से घिरा हुआ है। यहां भूटानी शैली का बना हुआ एक बहुत सुंदर मठ तथा नेचर इंटरप्रेटेशन सेंटर केंद्र है। यहां से ही न्‍यौरा नेशनल पार्क जाने का रास्‍ता है। ज्ञातव्‍य है कि न्‍यौरा 10341 फीट की ऊंचाई पर रशे दर्रा पर स्थित है। रशे दर्रा भूटान, सिक्किम तथा पश्‍िचम बंगाल की सीमा है। यहां से चोला श्रेणी का बेहतरीन नजारा दिखता है। लोलीगांव जिसे खापर भी कहा जाता है लावा से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से बर्फबारी का बहुत सुंदर नजारा दिखता है।

कलिंगपोंग में आपको हर चौराहे पर स्‍टीम मोमोज, थूक्‍पा (नूडल सूप) तथा चो आदि खाने को मिल जाएगा। कलिंगपोंग में बहुत से अच्‍छे रेस्‍टोरेंट भी हैं। ग्‍लेनरी होटल का दो रेस्‍टोरेंट है- पहला ऋषि रोड पर तथा दूसरा ऑंगडेन रोड पर। इन दोनों रेस्‍टोरेंटों में केक, पेस्‍ट्री, पैटीज, चाय तथा कॉफी मिलता है। मंडारिन रेस्‍टोरेंट मछली, सुअर का भूना हुआ मांस तथा मुर्गा के मांस के लिए प्रसिद्ध है। गोम्‍पू होटल में बार की सुविधा है। कलसंग रेस्‍टोरेंट जोकि लिंक रोड पर स्थित है तिब्‍बती भोजन के लिए जाना जाता है। यहां का स्‍थानीय शराब जो कि बाजरे से बनता है बांस के बर्त्तन में परोसा जाता है। इस शराब को छंग भी कहा जाता है। अन्‍नपूर्णा रेस्‍टोरेंट में अच्‍छा भोजन मिलता है। अगर आप बेहतरीन भोजन चाहते हैं तो हिमालयन होटल तथा सिल्‍वर ओक होटल जाइए। लेकिन यहां पहले से ही बुकिंग कराना होता है। यहां के सभी होटल रात 8:30 से 9 बजे तक बंद हो जाते हैं।

भूटिया शिल्‍प, लकड़ी का हस्‍तशिल्‍प, बैग, पर्स, आभूषण, थंगा पेंटिग्‍स तथा चाइनीज लालटेन की खरीदारी यहां से की जा सकती है। इन सब वस्‍तुओं के लिए डम्‍बर चौक पर स्थित भूटिया शॉप प्रसिद्ध है। इसके अलावा इन वस्‍तुओं की खरीदारी के लिए कलिंगपोंग आर्ट एंड क्रार्फ्ट कॉओपरेटिव भी सही है। कलिंगपोंग का स्‍थानीय चीज तथा लॉलीपॉप यहां आने वाले पर्यटकों को जरुर खरीदना चाहिए।

हवाई मार्ग

सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बागडोगरा है। यहां से सिलीगुड़ी (69 किलोमीटर) का बस भाड़ा 90 से 100 रु. है। टैक्‍सी का किराया 130 रु. है।

रेल मार्ग

सबसे नजदीकी रेलवे स्‍टेशन नई जलपाइगुड़ी जंक्‍शन है। जलपाइगुड़ी से कलिंगपोंग का कैब का किराया 1500 रु. के करीब है।

सड़क मार्ग

यह सिलीगुड़ी (70 किलोमीटर) से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यहां से कलिंगपोंग के लिए सरकारी और निजी बसें चलती है।

  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; telegraph20081023 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  • Guide to Kalimpong – 3rd edition (2002) — Sandeep C. Jain — Himalayan Sales
  • Sangharakshita, Facing Mount Kanchenjunga — Windhorse Publications, 1991, ISBN 0-904766-52-7
  • Lepcha, My Vanishing Tribe — A.R. Foning, ISBN 81-207-0685-4
  • The Unknown and Untold Reality about the Lepchas — K.P. Tamsang

बाहरी कड़ियाँ

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