कल्प नाम के चार व्यक्ति हुए हैं जिनमें एक राजा उत्तानपाद के पुत्र प्रसिद्ध भक्त ध्रुव के पुत्र थे। इनकी माता शिशुपाल की कन्या भ्रमी थी। इनकी विस्तृत कथा श्रीमद्भगवत में दी गई हैं। इनके भाई का नाम वत्सल था।

दूसरे कल्प यदुवंशी वसुदेव के पुत्र थे जिनकी माता का नाम उपदेवा था। उपदेवा के दस पुत्र हुए जिनमें कल्प के अतिरिक्त राजन्य तथा वर्ष भी थे। इनकी कथा भी भागवत में है।

तीसरे कल्प हिरण्यकशिपु की बहन सिंहिका के 13 पुत्रों में से एक थे। इनके पिता का नाम विप्रचिति था। इनकी कथा [मत्स्यपुराण]] में है।

चौथे कल्प एक महर्षि थे जिनकी कथा स्कंदपुराण में मिलती है। इन्होंने सिंधुपति विश्वावसु की एक कन्या को पाला था जिसका विवाह नेपाल के राजा दुर्दर्श से हुआ।