कल्लणै, कावेरी नदी पर बना एक प्राचीन बांध है जो तमिलनाडु के तंजावुर जिले में स्थित है। [1] [2] यह तिरुचिरापल्ली से 15 किमी की दूरी पर तथा तंजावुर से 45 किमी की दूरी पर स्थित है। इस बांध का निर्माण मूलतः चोल राजा करिकालन के शासनकाल में 150 ई में हुआ था। [3] [4] यह विश्व में चौथा सबसे पुराना जल मोड़ या जल-नियामक संरचना है और भारत में सबसे पुराना है। यह अब भी उपयोग में है। [5] [6] अपनी भव्य वास्तुकला के कारण यह तमिलनाडु के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।

कल्लणै बाँध
कल्लणै बाँध (जब इसके गेट खुले हैं)
लुआ त्रुटि Module:Location_map में पंक्ति 522 पर: "{{{location_map}}}" is not a valid name for a location map definition।
राष्ट्रभारत
स्थानतंजावुर जिला, तमिलनाडु
उद्देश्यसिंचाई
स्थितिकार्य कर रहा है
निर्माण आरम्भ150 ई
द्वारा निर्मितचोल राजा करिकाल चोलन
संचालकतमिलनाडु सरकार
बाँध एवं उत्प्लव मार्ग
प्रकारबैरेज बांध
घेरावकावेरी नदी
ऊँचाई (आधार)5.4 मीटर (18 फीट)
लम्बाई329 मीटर (1,079 फीट)
चौड़ाई (आधार)20 मीटर (66 फीट)

यह बांध मूल रूप से चोल राजा करिकालन द्वारा 150 ई - 100 ई में बनवाया गया था। इस बांध के निर्माण के पीछे विचार नदी को डेल्टा जिलों की ओर मोड़ना था जिससे उन क्षेत्रों में भी सिंचाई हो सके। [3] [4] 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने इस बांध को फिर से तैयार किया था। 1804 में अंग्रेजों ने कैल्डवेल नामक एक सैन्य इंजीनियर को कावेरी नदी पर अध्ययन करने और डेल्टा क्षेत्र के लिए सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए नियुक्त किया गया था। [7] कैल्डवेल ने पाया कि बड़ी मात्रा में पानी कोलिडम में चला जाता है जिससे सिंचाई के लिए बहुत कम मात्रा में जल उपलब्ध हो पाता है।[7] आरम्भ में काल्डवेल ने प्रस्ताव दिया कि बांध की उंचाई 69 सेन्टीमीटर (27 इंच) बढ़ा दी जाय, इससे जल का स्तर ऊँचा हो जायेगा और सिंचाई के लिये अधिक जल उपलब्ध होगा।[3] इसके बाद, दूसरे इंजीनियर मेजर सिम ने कोलिडम नदी (कोलरून) की ओर जाने वाले आउटलेट्स के साथ नदी के उस पार अंडरस्लुइस के विचार का प्रस्ताव रखा, जिससे गाद बनने से रोका जा सके। [3] कोलेरून, कावेरी की प्रमुख सहायक नदी है। 19वीं शताब्दी में सर आर्थर कॉटन ने कोलेरून पर लोअर एनाइकट बनावाया जिसे कल्लणै की प्रतिकृति माना जाता है। [3]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Flowing waters for fertile fields". The Hindu. India. 29 August 2011.
  2. Singh, Vijay P.; Ram Narayan Yadava (2003). Water Resources System Operation: Proceedings of the International Conference on Water and Environment. Allied Publishers. पृ॰ 508. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7764-548-X.
  3. Syed Muthahar Saqaf (10 March 2013). "A rock solid dam that has survived 2000 years". The Hindu. अभिगमन तिथि 13 November 2013. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "Saqaf" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  4. "Karikalan cholan memorial inaugurated - Times of India". The Times of India. अभिगमन तिथि 2019-02-15. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; ":1" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  5. Christopher V. Hill (2008). South Asia: An Environmental History. ABC-CLIO. पपृ॰ 33–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-85109-925-2.
  6. "Kallanai Dam || Thanjavur Tourism". www.thanjavurtourism.com. अभिगमन तिथि 2 November 2018.
  7. Skempton 2002, पृ॰ 114.