कविता काणे

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कविता काणे एक भारतीय लेखिका और एक पूर्व पत्रकार रह चुकी हैं। इनका जन्म ५ अगस्त १९६६ में हुआ था। ये पौराणिक कथाएँ लिखने के लिए प्रचलित है। इनके द्वारा लिखित सारी किताबें भारतीय पुराण पर आधारित है। इनकी सर्वश्रेष्ठ बिकने वाली किताब का नाम है - कर्ण की पत्नी: जाति से निकाली हुई रानी।

कविता_काणे


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

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मुंबई में जन्मी कविता काणे, पटना, दिल्ली और पुणे जैसे शहरों में बड़ी हुई। ये फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे की पूर्व छात्रा रह चुकी हैं और इन्होंने अपना स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएशन) पुणे यूनिवर्सिटी से, अंग्रेजी साहित्य और जन संचार (मास कम्युनिकेशन) में किया है। यद्यपि शुरुआत में, इन्हें प्रशासनिक सेवा करने का मन था, परन्तु इन्होंने पत्रकारिता का चुनाव किया क्योंकि ये लिखना चाहती थीं और लिखने के लिए बस यही एक व्यावहारिक करियर विकल्प था। इन्होंने २० सालों तक भिन्न मीडिया हाउसेज़ में काम किया - मैगना पुब्लिकेशन्स, डेली न्यूज़ एंड एनालिसिस और द टाइम्स ऑफ़ इंडिया। अपने प्रथम उपन्यास, कर्ण की पत्नी, की कामयाबी के बाद, इन्होंने पूरी तरह से लेखक बनने का निर्णय लिया।


निजी जिंदगी

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इनका पूरा बचपन इनके माता-पिता और दो बहनों के साथ पटना, दिल्ली और पुणे में बीता था। इनके परिवार में सबके जीवन में एक-दूसरे के साथ तो गहरा सम्बन्ध था ही, किताबों के साथ भी बहुत गहरा सम्बन्ध था। इनके घर में एक इन-हाउस लाइब्रेरी के साथ कई किताबें थीं। इन्होंने एक बार कहा था कि, "मेरे पिताजी के पास १०००० किताबों का निजी संग्रह है और अगर आप उसे नहीं पढ़ते है, तो आपको सनकी की श्रेणी में रखा जाता है !" एक सिनेमा और रंगमंच की कट्टर प्रेमी, इनके शौक का दायरा पढ़ाई और परिवार तक ही है। इनकी शादी प्रकाश काणे नामक एक नाविक से हुई है। ये पुणे में अपनी दो बेटियों, किमाया और अमाया, और अपने दो पालतू कुत्तों, चिक और कॉटन के साथ रहती है।


साहित्यिक जीवन

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कविता_की_रचना

जबकि अन्य लोग जिन्हें पौराणिक कहानियाँ सुनाई गई थीं, उन्होंने उन्हें वैसे ही सुना जैसे वे हैं, कविता काणे ने पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण प्रदर्शित किया। इनका मानना था कि पौराणिक कथाएं "समकालीन विचार के लिए एक विशाल कैनवास" के रूप में कार्य करती हैं। केन ने अपने लेखन में दर्शाया है कि कैसे पौराणिक कथाओं में कहानियों को पितृसत्ता के प्रकाश में चित्रित किया गया था। यह कहती हैं कि चूंकि यह पुरुष थे जिन्होंने पौराणिक कथाओं की कहानियों को लिखा, बताया और तैयार किया, वे विशुद्ध रूप से पितृसत्तात्मक थे। यह कहती हैं, "महिलाओं को एक उचित प्रकाश में चित्रित नहीं किया गया है, यह गलत धारणा और रूढ़िवाद के कारण है जिसने हम सभी को अदूरदर्शी बना दिया और हमें इन महिलाओं के विशाल शक्ति और दृढ़ विश्वास को देखने की अनुमति नहीं दी।" यह आगे कहती हैं कि हम पौराणिक कथाओं को एक उपकरण के रूप में उपयोग करके पात्रों को उनके मूल रूप में लाने के लिए बहुत अच्छी तरह से काम कर सकते हैं, यह दिखाने के लिए कि ये महिलाएं कितनी शक्तिशाली थीं। 2013 में प्रकाशित इनका पहला उपन्यास, कर्ण की पत्नी एक त्वरित हिट थी जिसने इन्हें अपने लेखन को आगे बढ़ाने का आत्मविश्वास दिया। उसके बाद के उपन्यासों ने उस सिद्धांत का पालन किया जिसमें यह विश्वास करती थी, ज्ञात महिला पात्रों की मूल ताकत। वे हैं - 2014 में प्रकाशित सीता की बहन, मेनका की पसंद (2015), लंका की राजकुमारी (2016), द फिशर क्वीन का राजवंश (2017) और अहल्या की जागृति (2019) । ये छह उपन्यासों की बेस्टसेलिंग लेखिका बन गईं और इन्हें भारतीय साहित्य परिदृश्य पर एक क्रांतिकारी लेखक के रूप में देखा जाता है।

आज कविता काणे एक ऐसी लेखिका के रूप में उभरीं, जिनकी अगली रचना का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। कुछ ही समय में महिला पात्रों का उनका चित्रण नए कोण से दिल जीत रहा है। देवी सरस्वती की अनकही कहानी के बारे में इनका अगला उपन्यास कुछ ऐसा है जो पुस्तक प्रेमियों में उत्साह की लहरें पैदा कर रहा है।

ग्रंथसूची

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इनके कुछ प्रसिद्ध कार्य हैं - 1. कर्ण की पत्नी: जाति से निकाली हुई रानी (2013) 2. सीता की बहन (2014) 3. मेनका की पसंद (2015) 4. लंका की राजकुमारी (2016) 5. द फिशर क्वीन का राजवंश (2017) 6. अहल्या की जागृति (2019)


[1] [2]

  1. “Stories of Unsung Women of Mythologies With a Different Perspective and an Interesting Angle.” BookOfAchievers, bookofachievers.com/articles/unsung-women-of-mythologies-from-a-feminist-view-new-perspective. Accessed 24 Jan. 2023.
  2. “Kavita Kané Biography and Famous Books | FrontList.” Kavita Kané Biography and Famous Books | FrontList, 24 Jan. 2023, www.frontlist.in/authors/kavita-kane.