कश्मीर सिंह (जन्म 1941) एक पूर्व भारतीय जासूस है। जब उन्हें परवेज मुशर्रफ ने राष्ट्रपति पद का प्रयोग कर उनकी सज़ा माफ़ की, वे पाकिस्तान की जेल में 35 साल बिता चुके थे।


प्रारंभिक जीवन संपादित करें

अपने शुरुआती जीवन में, वे 1962 से 1966 तक भारतीय सेना में थे। कुछ समय के लिए पंजाब पुलिस में काम करने के बाद, उन्होंने रॉ के लिए जासूसी करना शुरू किया। उन्हें इसके लिए रु 400 प्रति माह मिलते थे। तत्पश्चात, उन्होंने एक मुस्लिम नाम इब्राहिम रखकर पाकिस्तान में प्रवेश किया। [1] इस नाम का प्रयोग करते हुए, उन्होंने अपने कार्य के दौरान होटलों में पहचान की और पहचान पत्र प्राप्त किए। [1]

गिरफ़्तारी संपादित करें

1973 में, उन्हें पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों द्वारा पेशावर- रावलपिंडी मार्ग पर 22 वें मील के पत्थर पर गिरफ्तार किया गया था। [2][3]गिरफ्तारी के बाद, उन पर जासूसी और तस्करी का आरोप लगाया गया था, लेकिन अधिकारियों द्वारा यह साबित नहीं किया जा सका। [4] गिरफ्तारी के समय, उनके परिवार में उनकी पत्नी, परमजीत कौर, और १० साल की उम्र में तीन बच्चे शामिल थे [4]

इसके बाद उसी वर्ष, उन्हें पाकिस्तान सेना की अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।[5] इस फैसले को 1976 और 1977 के बीच एक दीवानी अदालत ने बरकरार रखा और एक दया याचिका के बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ।[6][5] अनिश्चित काल के कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद, उन्होंने बताया कि "अधिकारियों ने उन्हें पहले कुछ महीनों तक थर्ड डिग्री टॉर्चर किया था" [6] और उन्होंने उन पर भारतीय जासूस होना क़बूलने का दबाव डाला। सिंह को पाकिस्तान में सात अलग-अलग जेलों में बंद किया गया था और उन्हें "एकांत कारावास में 17 साल तक जेल में बेड़ियों में रखा गया।" [7] वे पैंतीस साल कैद में रहे, इस दौरान उन्हें एक भी बार न तो आसमान देखना नसीब हुआ, और न ही कोई आगंतुक उनसे मिल सका। [8]

उनकी पत्नी परमजीत को छोड़कर सिंह का पूरा परिवार उनकी वापसी की उम्मीद खो चुका था। 1986 में, जब पाकिस्तान सरकार ने लाहौर जेल से जासूसी के आरोपी कुछ भारतीय कैदियों को रिहा किया, तब परिवार जानता था कि वह जीवित है लेकिन मौत की सजा पर है। [9]

रिहाई संपादित करें

2008 में, पाकिस्तान के कार्यवाहक मानवाधिकार मंत्री अंसार बर्नी ने लाहौर जेल का दौरा करते हुए सिंह को गम्भीर अवस्था में पाया। [10] बर्नी ने कहा कि सिंह जेल में इतने वर्ष बिताने के बाद मानसिक रूप से विकलांग हो गए थे। [11] उन्होंने तुरंत पाकिस्तान सरकार के सामने अपना मामला रखा जिसमें उन्होंने सिंह की रिहाई की मांग की। [12] उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने "अपने मामले को मानवीय आधार पर लड़ा था क्योंकि उन्होंने [सिंह ने] ३५ साल जेल में बिताए थे।" [13]

इसे देखते हुए, पाकिस्तान के राष्ट्रपति, परवेज मुशर्रफ ने सदमा और अविश्वास व्यक्त किया और इस दया याचिका को स्वीकार कर लिया और सिंह को भारत वापस भेजने का आदेश दिया। [14]

4 मार्च 2008 को, उन्हें पाकिस्तान द्वारा रिहा कर दिया गया और हर्षोल्लास के साथ उनका वाघा सीमा से भारत में स्वागत किया गया। [15]

यह सभी देखें संपादित करें

संदर्भ संपादित करें

  1. Singh, Khushwant (7 March 2008). "Kashmir Singh denies conversion". The Times of India. मूल से 23 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  2. Singh, Khushwant (7 March 2008). "Kashmir Singh denies conversion". The Times of India. मूल से 23 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  3. "Kashmir Singh released from Lahore jail". The Times of India. 3 March 2008. मूल से 23 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  4. "Kashmir Singh returns to India after 35 years in Pak jails". Yahoo! India News. 4 March 2008. अभिगमन तिथि 7 March 2008.[मृत कड़ियाँ]
  5. Jolly, Asit (4 March 2008). "A powerful Indian love story". बीबीसी. मूल से 6 मार्च 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  6. Singh, Khushwant (7 March 2008). "Kashmir Singh denies conversion". The Times of India. मूल से 23 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  7. "I was a spy and did my duty, says Kashmir Singh". The Indian Express. 7 March 2008. मूल से 9 मार्च 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  8. "Hero's welcome for forgotten prisoner". Herald Sun. 6 March 2008. मूल से 9 मार्च 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  9. Mann, Kuldeep (4 March 2008). "Kashmir Singh comes home after 35 yrs". Hindustan Times. मूल से 7 मार्च 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  10. Mann, Kuldeep (4 March 2008). "Kashmir Singh comes home after 35 yrs". Hindustan Times. मूल से 7 मार्च 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  11. "Hero's welcome for forgotten prisoner". Herald Sun. 6 March 2008. मूल से 9 मार्च 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  12. "Former spy back home to emotional welcome". Dawn. 4 March 2008. मूल से 8 मार्च 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  13. "Pak Minister defends his role in Singh's release". Sify.com. 7 March 2008. मूल से 10 मार्च 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  14. "Hero's welcome for forgotten prisoner". Herald Sun. 6 March 2008. मूल से 9 मार्च 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.
  15. "Kashmir Singh arrives home, gets a hero's welcome". 4 March 2008. मूल से 7 मार्च 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2008.