क़ाज़ाक़्स्तान में बहुविवाह

यद्यपि पिछली सदी में क़ाज़ाक़्स्तान में बहुविवाह वैध थे, पर वर्तमान में बहुविवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है, तथापि इसे वैधानिक करने कि बहस जारी है। ऐसी ही बहसें पडो़स के अन्य देशों जैसे किर्घिस्तान, उज़्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और रुस में भी हुई हैं। एक प्रस्तावित कानून के पारित होने पर बहुविवाह देश के सभी पुरुषों के लिये वैध हो जाएगा, जिसकी कुछ शर्तों को पूरा करना होगा जैसे कि पति को अपनी पहली पत्नी से स्वीकृति लेनी होगी और पुरुष को ये दिखाना होगा कि वो वित्तिय रूप से एक और परिवार को वहन कर सकता है। कानूनानुसार ४ पत्नियां तक रखने कि अनुमति होगी।

कानून के पक्ष में तर्क

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बहुविवाह को वैध बनाने के समर्थक ये तर्क देते हैं कि "इससे देश कि जनसांख्यिकीय स्तिथि को सुधारने में सहायता मिलेगी"। ये लोग इस्लामी रीतियों को उद्धृत करते हैं, जिसके अनुसार एक मुसलमान पुरुष को चार पत्नियां तक रखने कि अनुमति है। उनका तर्क ये भी है कि नया अध्यादेश बहुपत्नी पुरुष कि पत्नियों और बच्चों को भी और अधिकार देगा।

बहुपतित्व को वैध करने की बहस

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७ मई २००८ को अस्ताना में एक गोलमेज़ के दौरान, बह्यत सिज़दिकोवा ने कहा कि वह बहुपतित्व को भी वैध करने क सुझाव देंगी, यदि संसद द्वारा बहुपत्नित्व को वैध कर दिया जात है तो, क्युंकि, "हमारे देश मे संविधान द्वारा पुरुषों और स्त्रीयों को बराबर अधिकार दिए गए हैं"। उन्होने कहा कि बहुविवाह को वैध करने के स्थान पर बिना विवाह हुए, पैदा होने वाले बच्चों को और अधिकार देने वाले कानून कि आवश्यकता है। अल्माटी कि एक महिला द्वारा भी कुछ ऐसे ही विचार व्यक्त किए गये कि, "बहुत सी महिलाएं दूसरी या तीसरी पत्नियां बन गई हैं, लेकिन ना तो उन्हें और ना ही उनके बच्चों को कोई अधिकार प्राप्त हैं", "में नए पारित होने वाले कानून में बहुविवाह शब्द नहीं देखना चाहती, पर में ये चाहती हूँ कि पुरुषों पर दायित्व हों और उन्हें ही उनके सारे संबंधों और आधिकारिक विवाह से अन्यत्र संतान के लिये उत्तरदायी माना जाए।

बाहरी कडियाँ

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