क़िला अब्दुल्लाह ज़िला

क़िला अब्दुल्लाह (उर्दू: قلعہ عبد الله‎, अंग्रेज़ी: Killa Abdullah) पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित एक ज़िला है। इसका क्षेत्रफल ३,२९३ किमी है और सन् २००५ में इसकी आबादी ४ लाख से ज़्यादा अनुमानित की गई थी। यहाँ रहने वाले अधिकतर लोग पश्तून हैं और पश्तो यहाँ सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है। जून १९९३ तक यह पिशीन ज़िले (پشین ‎, Pishin) का हिस्सा हुआ करता था लेकिन फिर इसे एक अलग ज़िले का दर्जा दिया गया।

बलोचिस्तान प्रांत में क़िला अब्दुल्लाह ज़िला (लाल रंग में)

यह ज़िला शेला बाग़ पहाड़ों के चरणों में स्थित है। इसके दो विभाग हैं: गुलिस्तान और चमन। यहाँ पानी की क़िल्लत से शुष्क क्षेत्रों में उगने वाले पौधे अधिक मिलते हैं। चमन का क्षेत्र पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप की लोक-संस्कृति में अपने ख़ुबानी, आलू बुख़ारों और गिलास (चेरी) जैसे फलों के लिए मशहूर है। भारत के विभाजन से पहले हींग, घी, क़ालीन, मवेशी और बहुत से फल भी अफ़्ग़ानिस्तान से भारत चमन के ज़रिये ही लाए जाते थे।[1]

पिशीन क्षेत्र के साथ यह इलाक़ा भी सन् १८३९ में प्रथम ब्रिटिश-अफ़्ग़ान युद्ध के बाद हिंदुस्तान का भाग बन गया। १८४२ में अफ़्ग़ानों ने इसपर फिर क़ब्ज़ा कर लिया लेकिन १८७९ में इसे दोबारा खो बैठे। इसके चार साल बाद इसे क्वेट्टा ज़िले में शामिल कर लिया गया। १९९३ में क़िला अब्दुल्लाह एक अलग ज़िला बना।[2]

इन्हें भी देखें

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  1. Imperial Gazetteer of India. Provincial Series: Baluchistan, Elibron.com, 2005, ISBN 978-1-4212-4825-7, ... The only other marts of importance are Kila Abdullah and Chaman, from both of which places trade is carried on with Afghanistan ... Live animals, ghi, asafoetida, fresh and dried fruit, and pile carpets are the principal imports ...
  2. 1998 District Census Report of Killa Abdullah, Population Census Organisation, Government of Pakistan, Islamabad, 2000. Pg 6