काइदू नदी

मध्य एशिया में जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त की एक नदी

काइदू नदी (चीनी: 开都河, अंग्रेज़ी: Kaidu River) मध्य एशिया में जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त की एक नदी है। यह नदी तियान शान पर्वतमाला की दक्षिण-मध्य ढलानों में युल्दुज़ द्रोणी से उत्पन्न होती है और यान्ची द्रोणी से होती हुई बोस्तेन झील में विलय हो जाती है। झील का ८३% जल इसी नदी से आता है। झील से फिर यह नदी 'कोन्ची दरिया' के नाम से निकलती है और लौह द्वार दर्रे से होती हुई तारिम द्रोणी में चली जाती है। ऐतिहासिक रेशम मार्ग पर स्थित काराशहर इसी नदी के किनारे बसा हुआ है।

काराशहर के पास से गुज़रती काइदू नदी
काराशहर में काइदू पर बना एक पुल

ऐतिहासिक वर्णन

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भारत जानेवाले प्रसिद्ध चीनी बौद्ध धर्मयात्री ह्वेन त्सांग की यात्रा का बखान करते हुए पश्चिम की यात्रा नामक वृतांत में इस नदी का नाम 'लिउशा नदी' (流沙河, Liusha River) दिया है, जिसका अर्थ है 'बहती रेत की नदी'। इसमें लिखा है कि यहाँ एक शा वुजिंग (沙悟净, Sha Wujing) नामक जल-दानव रहता था जो चारों ओर भय फैलाता था, लेकिन फिर ह्वेन त्सांग से प्रभावित होकर उसका शिष्य बन गया।[1]

इन्हें भी देखें

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  1. ""Brief Introduction to Ba-Prefecture"". मूल से 9 मई 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जुलाई 2013.