स्मरदहन ( अर्थ : 'कामदेव का दहन') प्राचीन जावा भाषा (काकविन) में रचित एक काव्य है। इसकी रचना मपू धर्मज ने १२वीं शताब्दी के आरम्भ में की थी।

स्मरदहन का मुखपृष्ट ; शिव द्वारा स्मर (कामदेव) का दहन

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