कादीपुर
कादीपुर (Kadipur) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के सुलतानपुर ज़िले में स्थित एक नगर व नगर पंचायत है। यह एक तहसील का दर्जा भी रखता है।[1][2]
कादीपुर Kadipur | |
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निर्देशांक: 26°10′N 82°23′E / 26.17°N 82.38°Eनिर्देशांक: 26°10′N 82°23′E / 26.17°N 82.38°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | सुलतानपुर ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 8,010 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
विवरण
संपादित करेंकादीपुर में त्रिलोचन शास्त्री जैसे कवियों ने जन्म लिया। कादीपुर से लगभग 12 किलोमीटर दूर दोस्तपुर ब्लाक में धतुरहा नमक गांव है। इस गाँव के जमींदार भवानी बक्श सिंह जी ने यहां 1857 में अंग्रेजों से इसको तहसील को कुछ समय के लिए स्वतन्त्र कर लिया लगभग 14 किलोमीटर दूर बाबा हनुमान जी का मंदिर है जो लगभग 500 बरस पुराना है। कादीपुर में बाबा भोले नाथ का सुंदर मन्दिर झारखंड जो बहुत पुराना एवं आध्यात्मिक है यहां ऐसा माना जाता है की भगवान भोलेनाथ की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। यहीं से कुछ दूरी पर गौरीशंकर मन्दिर शाहपुर के जंगल मे है यह मंदिर आदिकाल से बहुत पौराणिक है। यहां बहुत सुरम्य स्थान है।
यह सूरापुर-सुलतानपुर में एक बहुत प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है। मंगलवार और शनिवार को यहाँ पर बहुत से लोग पूजा अर्चना के लिए आते हैं । रामायण में इस स्थान की अपनी कथा है। इस जगह भगवान हनुमान जब लक्ष्मण के लिए संजीवनी लाने जा रहे थे तो उन्होंने दैत्य कालनेमि को मारा और विश्राम किया था । भगवान हनुमान ने मकर कुंड में स्नान भी किया जो बिजेथुआ मंदिर के किनारे पर स्थित है। रावण ने भगवान राम के कार्य में बाधा डालने के लिए कालनेमि नाम के दैत्य को नियुक्त किया था | कुंड में स्नान करते समय एक मकरी ने हनुमान जी से कहा की कालनेमि संत नहीं अपितु दैत्य है । भक्त जन अपनी मनोकामना की सिद्धि के लिए यहाँ पर घंटियां चढाते है | बिजेथुआ महावीरन जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी दूर कादीपुर तहसील में स्थित है और सड़क मार्ग बस और निजी टैक्सी द्वारा यहाँ पहुंचा जा सकता है। कादीपुर के चिरानीपट्टी गाँव में प्रसिद्ध कवि स्वर्गीय श्री त्रिलोचन शास्त्री (बासुदेव सिंह) का जन्म हुआ था, हियायी और खैरहवा(अमरेथू) की सीमा पर उनके नाम पर एक कॉलेज संचालित है जो कादीपुर के पुरातन संस्थाओं में से एक है।
कादीपुर तहसील में अलीपुर नामक बाज़ार है जिसके बायीं ओर तकरीबन एक किलोमीटर पर राजकुमार राजपूतों का प्रसिद्ध गांव अनिरुद्धपुर है। इस गांव के प्रसिद्ध व्यक्तियों में स्वर्गीय श्री मार्कण्डेय सिंह 'मास्टर', श्री घनश्याम सिंह, श्री अनिरुद्ध कुमार सिंह, श्री हरि प्रसाद सिंह ,श्री हनुमान प्रसाद सिंह 'हनुमत'-एक प्रसिद्ध कवि एवम सामाजिक कार्यकर्ता, हैं। इस गांव की आबादी लगभग 2000 है । यह गांव कृषि योग्य उपजाऊ भूमि से समृद्ध है परंतु सिचाई की समुचित व्यवस्था के अभाव में यहां कृषि-उत्पादन नाम मात्र का होता है। इस गाँव के युवाओं में सेना के प्रति खासा उत्साह है। इस गाँव में कई युवा सेना और अर्धसैनिक बलों में देश की सेवा कर रहे हैं जिनमे सर्वोच्च पद राम सिंह का था जो केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में सहायक कमांडेंट के पद पर रह चुके है, निजी कारणों से के.रि.पु.बल से त्यागपत्र देकर केंद्रीय विद्यालय में प्रवक्ता के रूप में देश के भविष्य का निर्माण कर रहे हैं । इन्हीं के मार्गदर्शन में इस गांव के युवा सेना में भर्ती होकर देश की सीमा पर तैनात हैं। इस गांव के लोग स्वच्छता पसंद हैं। प्रधान मंत्री द्ववारा चलाये गए शौचालय निर्माण अभियान के अंतर्गत इस गाँव के सभी घरों में शौचालय का निर्माण ग्रामप्रधान द्वारा करवाया गया है। इस गांव के लोग अपने स्वाभिमान से समझौता नही करते हैं, भले ही उसके लिए प्राण ही क्यों न न्योछावर करना पड़े। इस गाँव के नागरिक अतिथियों का स्वागत भगवान की तरह करते है। इसी गांव के पूर्वज श्री राम अपरबल सिंह अंग्रेजी शासन के समय के आंदोलनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया करते थे।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975