कानू सान्याल (१९३२ -- 23 मार्च 2010) भारत में नक्सलवादी आंदोलन के जनक कहे जाने हैं।

कानू सान्याल

जीवन-परिचय

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दार्जीलिंग जिले के कर्सियांग में जन्में कानू सान्याल अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटे थे। पिता आनन्द गोविन्द सान्याल कर्सियांग के कोर्ट में पदस्थ थे। कानू सान्याल ने कर्सियांग के ही एमई स्कूल से १९४६ में मैट्रिक की अपनी पढ़ाई पूरी की। बाद में इंटर की पढाई के लिए उन्होंने जलपाईगुड़ी कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। उसके बाद उन्हें दार्जीलिंग के ही कलिंगपोंग कोर्ट में राजस्व क्लर्क की नौकरी मिली। कुछ ही दिनों बाद पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री विधान चंद्र राय को काला झंडा दिखाने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

जेल में रहते हुए उनकी मुलाकात चारु मजुमदार से हुई। जब कानू सान्याल जेल से बाहर आए तो उन्होंने पूर्णकालिक कार्यकर्ता के बतौर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ली। १९६४ में पार्टी टूटने के बाद उन्होंने माकपा के साथ रहना पसंद किया। १९६७ में कानू सान्याल ने दार्जिलिंग के नक्सलबाड़ी में सशस्त्र आन्दोलन की अगुवाई की। अपने जीवन के लगभग १४ साल कानू सान्याल ने जेल में गुजारे।

२३ मार्च 2010 को कानू सान्‍याल का निधन हुआ। ऐसा माना जाता है कि उन्‍होंने आत्‍महत्‍या की है। [1]

  1. "यह नक्सलवाद नहीं, आतंकवाद है". रविवार. मूल (एसएचटीएमएल) से 18 जून 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-05-30.

बाहरी कड़ियाँ

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