कान्हड़दे प्रबन्ध पश्चिमी अपभ्रंश में रचित एक ग्रन्थ है जिसकी रचना कवि पद्मनाभ ने सन १४५५ में की थी। इसमें रावल कान्हड़े (या कान्हड़देव) की गाथा है जो जालौर के चहमान शासक थे। इस प्रसिद्ध ग्रन्थ में जालौर पर अलाउद्दीन ख़िलजी के आक्रमण व जालौर राजा कान्हड़देव की वीरता का वर्णन है। राजकुमार 'वीरभदेव' व सुल्तान ख़िलजी की पुत्री 'फिरोजा' के प्रेम के वर्णन के साथ-साथ तात्कालिक सामाजिक व सांस्कृतिक चित्रण भी इस कृति में प्रस्तुत हुआ है। यह रचना पदमनाथ द्वारा लिखी गई। इसके अनुसार यह भी बताया गया है कि एक भविष्य से कोई व्यक्ति भी युद्ध में उपस्थित था लेकिन हारने के बाद वह भाग गया।