काफी राग हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक राग हैं। पंडित विष्णू नारायण भातखंडे के वर्गीकरण में, यह राग काफी थाट में है।

इस राग में गंधार (ग) और निषाद (नि) कोमल है तथा बाकी सब स्वर शुद्ध है।

सारेग॒ मप धनि॒सां।

सांनि॒धप, मग॒रे, सा।

वादी और संवादी

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इस राग का वादी स्वर पंचम (प) और संवादी स्वर षड्ज (सा) है।

सा, रे रे, ग॒ मम, प।

१. राग-बोध (प्रथम भाग). बा. र. देवधर.