कायाकल्प प्रेमचंद के पूर्वलिखित उपन्यासों से भिन्न आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया उपन्यास है। पूर्वजन्म और भावी जन्म के कल्पनात्मक चित्र इस कृति में कर्म और संस्कारोंके आधार पर प्रस्तुत किये गए हैं। इसमें वासना और प्रेम का संघर्ष आध्यात्मिक फलक पर चित्रित किया गया है और अंत में प्रेम द्वारा ही मानसिक शांति का लोक-प्रचलित आदर्श मार्ग बताया गया है। अतिशय चमत्कारिकता होने के कारण यह उपन्यास अन्य उपन्यासों की भाव-गरिमा को छू नहीं सका है।

  • यशोदानन्दन[1]
  • महमूद
  • लड़की
  • चक्रधर
  • वज्रधर


  1. प्रेमचन्द (1956). कायाकल्प. बनारस: खण्डेलवाल प्रेस. पृ॰ 6.