कार्ल काउत्स्की
कार्ल काउत्स्की (१८५४ - १९३८), कार्ल मार्क्स का मित्र तथा प्रिय शिष्य था। इस जर्मन मार्क्सवादी को एंगेल्स की मृत्यु के बाद इसको ही मार्क्सवादी दर्शन का सबसे बड़ा व्याख्याकार माना जाता था।
व्यक्तिगत जानकारी | |
---|---|
जन्म | कार्ल जोहान्न काउत्स्की Karl Johann Kautsky 16 अक्तूबर 1854 प्राग, आस्ट्रियाई साम्राज्य |
मृत्यु | 17 अक्टूबर 1938 एम्सतर्डम, नीदरलैंड्स | (उम्र 84 वर्ष)
जीवनसाथी(याँ) | Luise Kautsky (वि॰ 1890; नि॰ 1944) |
वृत्तिक जानकारी | |
युग | 19विं शताब्दी का दर्शन |
क्षेत्र | पाश्चात्य दर्शन |
विचार सम्प्रदाय (स्कूल) | Orthodox Marxism |
मुख्य विचार | Political philosophy, politics, economics, history |
प्रमुख विचार | Evolutionary epistemology, social instinct, active adaption, hyperimperialism |
कार्क काउत्स्की का जन्म १० अक्टूबर, सन् १८५४ ई. को प्राग में हुआ था। सन् १८८३ ई. में इसने एक समाजवादी पत्र निकालना प्रारम्भ किया जो सन् १९१७ तक निकलता रहा। सन् १८९१ ई. की एरफ़ुर्ट योजना के प्रवर्तक के रूप में इसने मार्क्सवादी विचारधारा को रूपांतरित करने के आंदोलन का विरोध किया। सन् १९१४ ई. में प्रथम महायुद्ध का प्रारम्भ होने पर इसने शांतिवादी दृष्टिकोण अपनाया और सन् १९१७ ई. में इंडिपेंडेंट सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी में सम्मिलित हुआ।
कार्ल काउत्स्की रूसी क्रांति के सर्वथा विरुद्ध था तथा लेनिन, त्रात्स्की आदि रूसी नेताओं के विरुद्ध इसने काफी प्रचार किया। इसने अपनी पुस्तक 'डिक्टेटरशिप ऑव द प्रालिटेरियट' में लेनिन के सिद्धान्तों तथा सर्वहारा वर्ग के अधिनायकत्व की स्थापना का खण्डन किया और यह सिद्ध करने की चेष्टा की कि रूसी क्रांति पूँजीपतियों की क्रांति है। यह सन् १९३४ ई. में चेकोस्लोवाकिया का नागरिक बना परन्तु रहता वियना ही में था और वहीं से आस्ट्रिया के समाजवादी दल का निर्देशन करता रहा। मार्च, सन् १९३२ ई. में, जब जर्मन सेनाओं ने आस्ट्रिया में प्रवेश किया तब, इसने चेकोस्लोवाकिया में भाग कर शरण ली। परन्तु शीघ्र ही इसे वहाँ से आंटर्डम भागना पड़ा जहाँ १७ अक्टूबर, सन् १९३८ ई. को इसका निधन हो गया।