नेपाल में गोपाल वंशी, महिषपाल वंशीपछि किराँत वंश का शासन प्रारम्भ होता है। नवीं शताब्दी के बाद किरात याक्थुङ वंशी   (राजा ) गालीजंगा का पोता शिरिजंगा ने पूर्वी नेपाल के अनेक स्वतन्त्र राजाओं को पराजित कर अपना आधिपत्य कायम किया और नईं लिपि का आविष्कार कर लिम्बुवान (किराँतक्षेत्र )में विद्या प्रचार किया ऐसी जनश्रुति है। किराँत याक्थुङ वंश द्वारा बनाई गई लिपि होने के कारण इस लिपि को किराँत लिम्बु लिपि और शिरिजगा लिपि भी कहते हैं। यह लिपि लिम्बुवान के बूढासुब्बा मन्दिर के आसपास के क्षेत्रों में प्रचलित है। आजकल किरात जाति के लोग इस लिपि का प्रयोग और प्रचारप्रसार कर रहे हैं। किराँत शासन नेपाल का प्रारम्भिक शासनकाल होते हुए भी गुप्त लिपि और कुटिला लिपि के बाद ही किराँत लिपि प्रचलन में आई थी। इसका मूलकारण किराँतकालीन इतिहास आज तक प्रामाणिक न होना बताया जाता है।