किशनजी
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (दिसम्बर 2011) स्रोत खोजें: "किशनजी" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
जीवन परिचय
संपादित करेंजुलाई 1956 में आंध्रप्रदेश के करीमनगर में जन्में माओवादी नेता मल्लोजुला कोटेश्वर राव ऊर्फ किशनजी ने हैदराबाद में अपनी पढ़ाई की और 70 के दशक में नक्सल आंदोलन में शामिल हुये. अलग-अलग राज्यों में प्रह्लाद, मुरली, रामजी, जयंत, श्रीधर के नाम से मशहूर माओवादी नेता मल्लोजुला कोटेश्वर राव को मीडिया में किशनजी के नाम से जाना जाता था।
कार्यक्षेत्र
संपादित करेंएक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के घर पैदा हुये कोटेश्वर राव सबसे पहले बंगाल में चले लालगढ़ के आंदोलनों के कारण मीडिया में सामने आये। लेकिन नक्सल आंदोलनों में उनकी सक्रियता पिछले 35 सालों से थी। मीडिया में सबसे अधिक बयान देने वाले कोटेश्वर राव ने आपातकाल के आसपास नक्सल आंदोलन की राह पकड़ी थी और बाद में पीपुल्स वार ग्रूप की स्थापना में बड़ी भूमिका निभाई. पीपुल्स वार ग्रूप, पार्टी युनिटी और एमसीसी के विलय में कोटेश्वर राव को सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जाता रहा है। उनकी पत्नी सुजाता भी उनके साथ ही नक्सल आंदोलन में सक्रिय थी।
मौत
संपादित करेंकेंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह के अनुसार पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जिलांतर्गत बुरीशोल के जंगलों में स्थित कुशबोनी गाँव में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ हुई और पुलिस ने 24 नवम्बर 2011 को पुलिस ने किशन जी को मार गिराया.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- माओवादी नेता कोटेश्वर राव ऊर्फ किशन मुठभेड़ में ढ़ेर (रविवार)
- नाटकीय वार्ता का नाटक (रविवार)
- सरकार का दावा- किशन जी मारे गए (बीबीसी)