कुँवर महाराजसिंह
सर कुँवर महाराजसिंह (1878, कपूरथला – 6 June 1959 लखनऊ) बम्बई के प्रथम भारतीय गवर्नर थे।
Singh at a baseball match in Bombay in 1949. | |||||||||||||||||||||||||||
क्रिकेट की जानकारी | |||||||||||||||||||||||||||
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बल्लेबाजी की शैली | Unknown | ||||||||||||||||||||||||||
गेंदबाजी की शैली | Unknown | ||||||||||||||||||||||||||
अंतर्राष्ट्रीय जानकारी | |||||||||||||||||||||||||||
राष्ट्रीय पक्ष | |||||||||||||||||||||||||||
कैरियर के आँकड़े | |||||||||||||||||||||||||||
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स्रोत : [1] |
उनका जन्म १७ मई, १८७८ को पंजाब के कपूरथला में हुआ। उनके पिता बहुत बड़े जमींदार थे। उनकी उच्च शिक्षा अधिकतर इंग्लैंड मे हुई। हैरो स्कूल मे शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एमo एo की डिग्री प्राप्त की।
भारत लौट आने पर उनकी नियुक्ति पुरी के डिप्टी कमिश्नर के पद पर हुई। कुछ ही वर्ष बाद वह कमिश्नर बनाए गए। जब वह इलाहाबाद के कमिश्नर थे, भारत सरकार ने उनको जोधपुर का मुख्य मंत्री बनाकर भेजा। अगस्त, १९३२ से जनवरी १९३५ तक वे वहाँ रहे। दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने भारतीयों की दशा में विशेष सुधार करवाया। सरकार ने उनको `सर` की उपाधि दी।
१९३५ में दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर वे संयुक्त प्रांत की सरकार में गृह सदस्य बनाए गए। जब १९३७ में कांग्रेस सरकार स्थापित हुई तो उसने उन्हें कई समितियों का सदस्य बनाया और उनसे कठिन समस्याओं पर बराबर परामर्श लेती रही। १९४८ में सरकार ने उन्हें बंबई का प्रथम भारतीय गवर्नर बनाया।
वह भारतीय ईसाई समाज के सर्वश्रेष्ठ नेता थे। १९४७ में उन्होंने ईसाइयों के लिये अलग स्थान न माँगकर भारतीयवासियों के साथ ही रहना स्वीकार किया। उन्होंने सदैव प्रत्येक भारतीय ईसाई को देशभक्त बनने की सलाह दी। अपने जीवनकाल में उन्होंने तथा रानी महाराजसिंह ने ईसाई लड़के लड़कियों को शिक्षा और नौकरियाँ दिलवाने में बड़ी सहायता की। ६ जून, १९५९ को बंबई में उनकी मृत्यु हुई।