जब किसी बिना धार वाली वस्तु से शरीर पर चोट पहुँचती है, तो उस जगह रक्त कोशिकाएँ फट जाती हैं पर कोई कटाव नही होता। रक्त कोशिकाओं के फटने से आस पास रक्त भर जाता है और उस जगह का सूजन आ जाती है। यह सूजन शुरुआत में नीले रंग की होती है और वक्त के साथ-साथ इसका रंग भी बदलता है। इस सूजन को नील या कुचलना कहते हैं! इस नील का आकर उस वस्तु के अनुसार पाया जाता है जिससे उसे चोट पहुँची है।[1] नील और सूजन शरीर के नाज़ुक अंगो में ज़्यादा दिखती है, जैसे कि पलकें, कान, होंठ आदि। कई बार सूजन जिस जगह चोट लगी है उस स्थान पर न होकर नाज़ुक स्थानो पर दिखाई देती है, जैसे; सर पर चोंट का अभाव आँखों पर दिखाई देता है! इस प्रकार के नील को स्थानांतरित नील कहते हैं।[2]

कुचलन

नील का कारण किसी भी बिना धार वाली चीज़ से चोट लगना है। परन्तु कभी-कभी सम्वाद्नीय नील बाल शोषण,घरेलु हिंसा और अनेक रक्त से जुड़े रोगों की चेतावनी भी हो सकती है।

आकार और आकृति

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नील और कुचलन का आकार गोल होता है। और यह आकार निर्भर करता है कि किस वस्तु से चोंट लगी है।

चिकित्सा के कुछ पहलू

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  • नील के आकार एवं आकृति से अपराध में प्रयुक्त वस्तु एवं आघात की गंभीरता का पता चलता है।
  • नील को लगे हुए कितना समय बीत चुका है, इससे घटना के समय की भी पुष्टि की जा सकती है।
  • नील के स्थान, आकार से ज्ञात किया जा सकता है कि वह हत्या या आत्महत्या के प्रयास के दौरान उत्पन्न हुआ है या किसी दुर्घटना के फलस्वरूप हुआ है, उसका भी हमें पता लगता है।
  1. Lotti, Torello (January 1994). "The Purpuras". International Journal of Dermatology.
  2. Harrison's Principles of Internal Medicine. 17th ed. United States: McGraw-Hill Professional, 2008". Harrison's Principles of Internal Medicine.