कुदसिया बेगम
कुदसिया बेगम भोपाल रियासत की सबसे पहली महिला शासक थी। जिन्हें (गौहर बेगम) के नाम से भी जाना जाता है। भारत का इतिहास बेटियों के मामले में काफी समृद्ध रहा है. इस धरती पर जहां एक ओर रानी दुर्गावती , रानी लक्ष्मीबाई , रानी अवंतिका का शासन रहा, तो वहीं दूसरी ओर मुगल रियासतें संभालने वाली रजिया सुल्तान और नूरजहां का भी शिद्दत से नाम आता है।
इन्हीं नामों की इस सूची को और समृद्ध बनाती है भोपाल की नवाबी रियासत, जो सही मायनों में बेगमों से आबाद रही. भोपाल के 240 साल पुराने इतिहास के 107 साल वो थे, जब यहां बेगमों ने शासन किया. इन सालों में रियासत को लगातार 4 बेगम मिली, जिन्होंने अपनी वास्तुकला से न केवल शहर को संवारा बल्कि अपनी बुद्धि के बल पर रियासत की रक्षा भी की, उन्हीं बेगमों में पहली शासक कुदेसिया बेगम थीं। इन्होने ही कुदसिया मस्जिद का निर्माण कराया था।[1]
1819 में, 18 वर्षीय कुदसिया बेगम ने अपने पति की हत्या के बाद बागडोर संभाली। वह भोपाल रियासत की पहली महिला शासक थीं। हालाँकि वह अनपढ़ थी, लेकिन वह बहादुर थी और उसने परदहा परंपरा का पालन करने से इनकार कर दिया था। उसने घोषणा की कि उसकी 2 वर्षीय बेटी सिकंदरजहां शासक के रूप में उसका पालन करेगी। उसके फैसले को चुनौती देने की हिम्मत परिवार के किसी भी सदस्य ने नहीं की। वह अपने अंतर्गंत आने वाले विषयों की बहुत अच्छी तरह से देखभाल करती थी और हर रात समाचार प्राप्त करने के बाद ही अपना खाना लेती थी। उन्होंने भोपाल में जामा मस्जिद भोपाल (मस्जिद) और उसके खूबसूरत महल 'गौहर महल' (जिसे नज़र बाग भी कहा जाता है) का निर्माण किया। उन्होंने 1837 तक शासन किया, अपनी बेटी की परवरिश कर काबिल बनाया और उनके इंतकाल के बाद उन्होंने सारा राज्य अपनी बेटी को दे दिया।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "कुदसिया बेगम ने बनवाई थी। कुदसिया मस्जिद". bhaskar.com. अभिगमन तिथि 28 मई 2020.
२https://bharatsamvaad.com/culture-and-history/gohar-mahal-bhoapl-raja-bhoj/