कुमार विकल
कुमार विकल (1935-1997) पंजाबी मूल के हिंदी भाषा के एक जाने मने कवि थे। वो वामपंथी विचारधारा से प्रभावित थे। १९७० के दशक में कुमार विकल काफी मकबूल हुए। उनकी कविता में दबे कुचले लोगों की समस्याओं का चित्रण नज़र आता है। उनकी कविता में मौजूद मनुष्यत्व की धारा ने आठवें दशक के दौरान पंजाब में हिन्दू-सिक्ख तनाव को कम करने और सद्भावना कायम करने में योगदान दिया। कुमार विकल की तुलना हिंदी साहित्य की जानी-मानी हस्ती कृष्णा सोबती से करते हैं जिनके साहित्य में पंजाब के जनजीवन का भरपूर चित्रण मौजूद है।[1]
कुमार विकल | |
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जन्म | कुमार विकल 1935 पंजाब , भारत |
मौत | 1997 चंडीगढ़, भारत |
पेशा | पंजाब विश्वविद्यालय में सक्त्रीय सेवां |
भाषा | हिंदी |
नागरिकता | भारतीय |
विधा | खुल्ली कविता |
विषय | क्रांतिकारी समाजक बदलाव |
उल्लेखनीय कामs | एक छोटी सी लड़ाई, रंग ख़तरे में हैं |
रचनाएँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "The Sunday Tribune - Spectrum - Books". tribuneindia.com. मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 April 2017.
- ↑ "एक छोटी-सी लड़ाई / कुमार विकल - कविता कोश". kavitakosh.org. मूल से 6 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 April 2017.
- ↑ "रंग ख़तरे में हैं / कुमार विकल - कविता कोश". kavitakosh.org. मूल से 27 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 April 2017.
- ↑ "निरुपमा दत्त मैं बहुत उदास हूँ / कुमार विकल - कविता कोश". kavitakosh.org. मूल से 28 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 April 2017.