कुरुविंद (कृत्रिम)
कृत्रिम कुरुविंद (Synthetic rubies) पहले-पहल 1837 ई. में चूणित और निस्तप्त फिटकरी (ऐलम) और पोटेसियम सल्फेट के मिश्रण को ऊँचे ताप पर गरम करने से बना था। पीछे इसके बनाने की अनेक विधियाँ निकली, जिनसे कुरुविंद के अतिरिक्त कृत्रिम माणिक और नीलम भी बनने लगे।
निर्माण की विधियाँ
संपादित करेंइनके निर्माण की चार मुख्य विधियाँ हैं-
1. ऐल्यूमिना को आक्सि-हाइड्रोजन ज्वाला में पिघलाने से कुरुविंद प्राप्त हुआ था। म्वासाँ (moissan) ने ऐल्यूमिना को बिजली की भट्ठी में पिघलाकर कुरुविंद प्राप्त किया था। यदि ऐल्यूमिना के साथ थोड़ा क्रोमियम आक्साइड मिला दिया जाय तो माणिक भी प्राप्त हो सकता है।
2. ऐल्यूमिना को यदि द्रावक के साथ पिघलाया जाए तो उससे कुरुविंद बनता है। द्रावक के रूप में अनेक पदार्थों, जैसे पोटैसियम सल्फेट, पोटैसियम सल्फाइड, पोटैसियम डाइक्रोमेट, सोहागा, लेड आक्साइड, पोटैसियम मोलिबडेट, क्रायोलाइट, क्षार आक्साइड, सिरका, पोटैसियम टंगस्टेट और कैलसियम की खरादन और गंधक को निस्तप्त करने से कुरुविंद प्राप्त हुआ था। ऐसे कुरुविंद में अमणिभीय बोरन और मणिभीय ऐल्यूमिनियम बोराइड मिला हुआ था।
(3) (क) क्रायोलाइट और सिलिकेट को एक प्लैटिनम मूषा में गरम करने, (ख) फ्लोरस्पार और माइक्रसेक्लाइन के गरम करने और (ग) द्रवित पोटाश-अभ्रक को ठंडा करने से कुरुविंद प्राप्त होता है।
(4) ऐल्यूमिनियम लवण के जलीय विलयन को एक बंद नली में 3500 सें. पर, अथवा ऐल्यूमिनियम लवण के जलीय विलयन को यूरिया के साथ एक बंद नली में 1800-1900 सें. पर गरम करने अथवा ऐल्यू-मिनियम फ्लोराइड को बोरिक अम्ल के साथ ताप पर विच्छेदित करने से भी कुरुविंद बनता है। ऐलकाली सल्फेट के आधिक्य में ऐल्यूमिनियम फास्फेट की उच्च ताप पर क्रिया से (ताप 14000 सें. से ऊँचा नहीं रहना चाहिए), अथवा क्रायोलाइट को भाप के प्रवाह में श्वेत ताप पर गरम करने से, कुरुविंद प्राप्त होता है।
क्षार ऐल्यूमिनेट और क्रोमियम आक्साइड के मिश्रण को क्लोरीन के प्रवाह में गरम करने से माणिक प्राप्त हुआ है।
सन्दर्भ
संपादित करेंमाणिक्य का भ्रम माणिक्य से मिलते-जुलते रत्नो मे ही सम्भव है। पहला भ्रम तो उन रत्नो मे होना सम्भव है कि जो असली है रूप-रंग आदि मे माणिक्य से मिलते हैं, परन्तु वास्तव मे माणिक्य नही है।