कुलाधौर चालिहा

भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता

कुलधर चालिहा (1887 - 1963) एक स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से असम के प्रमुख नेता थे। जो भारत की संविधान सभा के सदस्य चुने गए थे। चालीहा असम राज्य से 1934 के ब्रिटिश भारतीय संसदीय चुनाव में (केन्द्रीय विधानसभा) के सदस्यों में से एक थे।

जीवन परिचय संपादित करें

कुलधर चालिहा का जन्म 20 सितंबर 1887 को असम के ज़िला शिवसागर में हुआ था। 1908 में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से क़ानून की शिक्षा प्राप्त की और वकालत करने लगे। परन्तु 1921 में गांधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन आरम्भ करते ही उन्होंने वकालत त्याग दी और आन्दोलन में कूद पड़े।


एक वर्ष की सज़ा पूरी करने के बाद जेल से छूटने पर वे असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रथम अध्यक्ष चुने गए। 1923 में असम लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य निर्वाचित हुए थे, पर बाद में कांग्रेस के निश्चयानुसार उन्होंने इस सदस्यता को त्याग दिया। 1925 में चालिहा अफीम निषेध समिति के अध्यक्ष बने और उन्होंने यूरोप जाकर इस विषय में राष्ट्र संघ में भी एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। 1934 में कुलाधर चालिहा निर्विरोध भारतीय ब्रिटिश संसद (केन्द्रीय असेम्बली) के सदस्य बने और 1946 में उनका संविधान सभा के लिए भी निर्वाचन हुए।

वे (5 मार्च 1952 से 7 जून 1957) तक असम विधानसभा के स्पीकर चुने गए। वह जाति-पाति और अस्पृश्यता के प्रबल विरोधी थे। शिक्षा के प्रसार और महिलाओं को समान अवसर देने का उन्होंने सदा समर्थन किया। योग्य संसदविद के रूप में उनकी ख्याति थी। 19 जनवरी 1963 ई. में चालिहा का देहान्त हो गया। भारत सरकार द्वारा 1988 में उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया गया है।