कृष्ण बिहारी 'नूर'
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२९ अगस्त १९५४ को पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की बांसगाँव तहसील (अब खजनी) अन्तर्गत ग्राम कुण्डाभरथ में जन्म। कानपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम. ए. किया। सन १९६८-६९ से लेखन की शुरुआत हुई। पहली कहानी सन १९७१ में प्रकाशित। तबसे सैकड़ों रचनाएँ हिन्दुस्तान के प्रमुख समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित।[1] अनेक प्रकार की साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थाओं के सदस्य और इमारात में हिन्दी के विकास में संलग्न। संप्रति संयुक्त अरब इमारात के अबूधाबी नगर में अध्यापन के व्यवसाय में हैं।
प्रकाशित कृतियाँ
संपादित करें- कहानी संग्रह : दो औरतें, पूरी हक़ीकत पूरा फ़साना, नातूर।
- एकांकी नाटक : यह बहस जारी रहेगी, एक दिन ऐसा होगा, गांधी के देश में
- नाटक : संगठन के टुकड़े
- कविता संग्रह : मेरे मुक्तक : मेरे गीत, मेरे गीत तुम्हारे हैं, मेरी लम्बी कविताएँ,
- उपन्यास : रेखा उर्फ नौलखिया, पथराई आँखों वाला यात्री, पारदर्शियाँ।
- यात्रा वृतांत : सागर के इस पार से उस पार से।
"दो औरतें " कहानी का नेशनल स्कूल ऑफ ड्रॉमा दिल्ली द्वारा श्री देवेंन्द्र राज अंकुर के निर्देशन में सन १९९६ में मंचन। अखबार और रेडियो की दुनिया से संबद्ध रहने के बाद पिछले सत्रह वर्षों से अध्यापन। कृष्ण बिहारी के एक सौ एक गीत उनके जालघर 'मेरे गीत तुम्हारे हैं' पर पढ़े जा सकते हैं। यह जालघर अभी निर्माणाधीन है।
सन्दर्भ
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