केदारदत्त जोशी
पण्डित केदार दत्त जोशी (१९१५ -- ) हिन्दी एवं संस्कृत के लेखक, सम्पादक एवं टीकाकार थे। उन्होने खगोल एवं ज्योतिष से सम्बन्धित अनेक संस्कृत ग्रन्थों की हिन्दी टीका लिखी है। वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्राच्य विद्या एवं धर्म विज्ञान संकाय में ज्योतिष के प्राचार्य थे।
उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जनपद के जुनायल ग्राम के ज्योतिर्विद पण्डित हरिदत्त जोशी के पुत्र पण्डित केदार दत्त जोशी काशी में अध्ययन के लिए १९२६ में आये।[1] कुछ वर्षों के बाद १९३८ में मदन मोहन मालवीय ने इनकी विद्वता को देखकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्राच्य विद्या एवं धर्म विज्ञान संकाय में ज्योतिष को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया। ज्योतिष में कुण्डली, ग्रह नक्षत्रों चाल, सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण के लगने से पड़ने वाले प्रभावों का आकलन ज्योतिष के जरिये बड़ी सरलता से करते थे। इन्हेंने ज्योतिष के सम्यक ज्ञान के आधार पर इस विषय से सम्बन्धित कई पुस्तकों का संपादन, टीका और अनुवाद लिखा।
रचित साहित्य
संपादित करें- सिद्धान्तशिरोमणि, स्पष्टाधिकार और त्रिप्रश्नाधिकार (1961-1964)
- महामहोपाध्याय पण्डित सुधाकर द्विवेदी का जीवन और कृतियाँ (१९६३)
- सिद्धान्तशिरोमणिः वासनाभाष्यसहित (ग्रहगणिताध्याय) (1961-1964)
- भास्कराचार्य कृत सिद्धान्तशिरोमणि (ग्रहगणिताध्याय का मध्यमाधिकार) (1961-1964)
- ज्योतिष में स्वर-विज्ञान का महत्व (१९६८)
- मुहूर्तचिन्तामणिः (1972)
- रामदैवज्ञ कृत मुहूर्तचिन्तामणि (1972)
- श्री विश्वनाथ दैवज्ञ विरचित ताजिकनीलकण्ठी (१९७९)
- सिद्धान्तशिरोमणि (गोलाध्याय) --१९८८
- बृहदवकहडाचक्रम् (2007)
- बृहज्जातकम्
- ग्रहलाघवम् की हिन्दी व्याख्या
- लघुपाराशरी एवं मध्यपाराशरी
- मुहूर्त्तमार्त्तण्ड
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "गोलाध्याय (पृष्ट ९२ ; लेखक -केदारदत्त जोशी)". मूल से 19 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 मई 2018.