केन्द्रापड़ा
केन्द्रापड़ा (Kendrapara, କେନ୍ଦ୍ରାପଡ଼ା) भारत के ओड़िशा राज्य के केन्द्रापड़ा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। राज्य के तुलसी क्षेत्र के नाम से विख्यात केन्द्रापड़ा चरखा मिलों के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि भगवान बलराम ने केन्द्रसुर का वध कर उसकी पुत्री से विवाह किया और यहीं बस गए। उड़ीसा के इस प्राचीन जिले में मनाया जाने वाला वार्षिक कार पर्व बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करता है। गोबरी नदी यहाँ से बहने वाली प्रमुख नदी है। 2546 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला यह जिला औल, भीतरकनिका वन्यजीव अभयारण्य, डांगामल और तामल सासन आदि पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।[1][2][3]
केन्द्रापड़ा Kendrapara କେନ୍ଦ୍ରାପଡ଼ା | |
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![]() भीतरकनिका में पर्यटक | |
निर्देशांक: 20°30′N 86°25′E / 20.50°N 86.42°Eनिर्देशांक: 20°30′N 86°25′E / 20.50°N 86.42°E | |
देश | ![]() |
राज्य | ओड़िशा |
ज़िला | केन्द्रापड़ा ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 47,006 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | ओड़िया |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
प्रमुख आकर्षणसंपादित करें
कनिका महलसंपादित करें
यह महल केन्द्रापड़ा के वैभवशाली इतिहास का प्रतीक है। राजा राजेन्द्र नारायण भंजदेव ने इस महल की नींव 9 जून 1909 में डाली थी। इस महल का निर्माण कार्य दस साल में पूरा हुआ। महल में आज भी प्राचीन काल की झलक देखी जा सकती है।
भीतरकनिकासंपादित करें
भीतरकनिका को 1975 में अभयारण्य घोषित किया गया था। इस अभयारण्य में पाई जाने वाली वनस्पतियाँ बंगाल के सुंदरवनों से काफी मिलती हैं। यहाँ बाघों के अलावा विभिन्न प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं। अभयारण्य में कच्छ वनस्पतियों की करीब 600 किस्में देखी जा सकती हैं। केन्द्रापडा के समुद्र तटीय इलाकों में यह अभयारण्य 650 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। इसका विस्तार भाद्रक और जगतसिंहपुर जिलों तक है। पक्षी प्रेमियों के लिए भी यहाँ अनेक दुर्लभ प्रवासी पक्षियों को देखने अनेक अवसर हैं। अक्टूबर से मार्च की अवधि यहाँ आने के लिए सबसे बेहतर मानी जाती है।
बलदेव जी मंदिरसंपादित करें
केन्द्रापड़ा का यह मंदिर राजधानी भुवनेश्वर से 95 किलोमीटर की दूरी पर है। तुलसी क्षेत्र के इस तीर्थ स्थल में पुरी के जगन्नाथ मंदिर के विधिपूर्व धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होते हैं। भगवान बलदेव की रथ यात्रा पुरी के कार पर्व के समान की लोकप्रिय है।
डांगालमसंपादित करें
मगरमच्छों के लिए प्रसिद्ध डांगामल में बड़ी संख्या में मगरमच्छों को देखा जा सकता है। भीतरकनिका वन्यजीव पार्क में स्थित इस परियोजना की शुरूआत 1975 में लुप्त होते मगरमच्छों को बचाने के लिए की गई थी। डांगामल में ठहरने के लिए फॉरेस्ट गेस्ट हाउस की भी व्यवस्था है।
गहिरमथा कछुआ अभयारण्यसंपादित करें
1997 में स्थापित इस कछुआ अभयारण्य को विश्व के सबसे बड़े कछुआ प्रजनन केन्द्र के रूम में विकसित किया गया है। यह कुल 1440 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है और भुवनेश्वर से करीब 179 किलोमीटर दूर है।
तमला सासनसंपादित करें
यह केन्द्रापड़ा जिले का प्रमुख धार्मिक केन्द्र है। औल, भीतरकनिका और डांगामल इसके निकटवर्ती दर्शनीय स्थल हैं।
आवागमनसंपादित करें
- वायु मार्ग
भुवनेश्वर विमानक्षेत्र यहाँ का सबसे करीबी एयरपोर्ट है जो देश के अनेक बड़े शहरों से वायुमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
- रेल मार्ग
भद्रक रेलवे स्टेशन केन्द्रापड़ा का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। कटक रेलवे स्टेशन से भी आसानी से केन्द्रापड़ा पहुँचा जा सकता है। भद्रक और कटक से बस या निजी वाहन द्वारा सरलता से केन्द्रापड़ा पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग
केन्द्रापड़ा ओडिशा और अनेक पड़ोसी राज्यों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। अनेक शहरों से यहाँ के लिए नियमित बसें चलती रहती हैं।
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ "Orissa reference: glimpses of Orissa," Sambit Prakash Dash, TechnoCAD Systems, 2001
- ↑ "The Orissa Gazette," Orissa (India), 1964
- ↑ "Lonely Planet India," Abigail Blasi et al, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787011991