केन्द्रीय खान योजना एवं डिजाइन संस्थान

इसका पूरा नाम सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड हैं।

सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआई) भारत सरकार का एक उद्यम है जिसका कॉर्पोरेट मुख्यालय भारत में रांची में है।

यह कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी और शेड्यूल-बी कंपनी है।

यह जून 2019 से एक मिनी रत्न (श्रेणी I) कंपनी है और मार्च 1998 से ISO 9001 प्रमाणित है। यह अपने सूचना सुरक्षा प्रबंधन के लिए ISO 27001 प्रमाणन के लिए भी तैयार है।

1972 में  , सीएमपीडीआई की मूल रूप से कल्पना और प्रस्ताव पोलिश विशेषज्ञों के साथ एक संयुक्त अध्ययन समूह द्वारा पूरे भारतीय खनन उद्योग के लिए एक छत के नीचे एक व्यापक योजना सेट-अप के रूप में किया गया था, जो तब एक प्राथमिक योजना प्रणाली पर काम कर रहा था। यह वह समय था जब भारतीय कोयला-उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया जा रहा था ताकि आने वाले वर्षों में देश के तीव्र औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक ऊर्जा क्षेत्र की उच्च वृद्धि का समर्थन किया जा सके।

दिसंबर 1973 में  , भारत सरकार ने सीएमपीडीआई के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें शुरू में इसकी गतिविधियों का क्षेत्र तत्कालीन राष्ट्रीयकृत कोयला-उद्योग तक सीमित था, क्योंकि कोयला खनन क्षेत्र के लिए वैज्ञानिक योजना की आवश्यकता सर्वोपरि हो गई थी।

जनवरी 1974 में  , सीएमपीडीआई ने तत्कालीन हाल ही में गठित कोल माइंस अथॉरिटी लिमिटेड (सीएमएएल) के एक प्रभाग के रूप में कार्य करना शुरू किया, और पूर्ववर्ती राष्ट्रीय कोयला विकास निगम (एनसीडीसी) की योजना शाखा ने इसका केंद्र बनाया।

1 नवंबर 1975 को  , सीएमएएल को कोल इंडिया लिमिटेड बनाने के लिए विलय कर दिया गया था, और सीएमपीडीआई ने सीआईएल के तहत एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी का दर्जा प्राप्त किया, जिसके मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन के तहत इसके व्यवसाय का घोषित दायरा मोटे तौर पर इसके मूल प्रस्ताव के अनुरूप था।सीएमपीडीआई की परिकल्पना मूल रूप से 1972 में की गई थी तथा संपूर्ण भारतीय खनन उद्योग, जो उस समय अल्प विकसित योजना प्रणाली पर कार्यरत था, के लिए एक छत के नीचे कार्य करने हेतु एक सर्व समावेशी योजना संगठन का प्रस्ताव पोलैण्ड के विशेषज्ञों के साथ एक युग्म, अध्ययन दल द्वारा दिया गया था। यह वह समय था जब भारत में आने वाले वर्षों में तीव्र औद्योगिक विकास की जरूरतों को पूरा करने हेतु ऊर्जा की तेजी से वृद्धि के लिए अवलम्बन उपलब्ध करने हेतु कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया जा रहा था।

वर्ष 1973 के दिसम्बर माह में भारत सरकार ने सीएमपीडीआई की रचना से संबंधित प्रस्ताव को इसके क्रिया-कलापों की सीमा को राष्ट्रीयकृत कोयला उद्योग तक ही सीमित रखते हुए स्वीकृत किया क्योंकि उस समय वैज्ञानिक खनन की जरूरत कोयला खनन के क्षेत्र में सर्वाधिक थी।

वर्ष 1974 में सीएमपीडीआई सद्य स्थापित कोल माइन्स आथरिटी लिमिटेड (सीएमएएल) के एक प्रभाग के रूप में करने लगा तथा बीते समय के नेशनल कोल डेबलपमेंट कॉरपोरेशन (एनसीडीसी) का योजना खंड इसका नाभकीय क्षेत्र बन गया।

१ नवम्बर, 1975 के दिन कोल इंडिया की रचना हेतु सीएमएएल का विलय हो गया तथा सीएमपीडीआई अपने मेमोरेण्डम ऑफ़ एसोशियेसन के तहत घोषित कार्यक्षेत्र के साथ, जो कि मूल प्रस्ताव के अनुरूप ही है, सीआईएल के अन्तर्गत एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में प्रतिष्ठित हो गया।

इन्हें भी देखें

संपादित करें

सीआईएल और सहायक कंपनिया निम्न हैं-

भारत कोकिंग कोल लिमिटेड

सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड

कोल इंडिया लिमिटेड

ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड

महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड

उत्तर पूर्वी कोयला क्षेत्र

नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड

साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड

वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें