केरल की जलवायु
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के लिए उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (सितंबर 2014) स्रोत खोजें: "केरल की जलवायु" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
भूमध्य रेखा से केवल 8 डिग्री की दूरी पर स्थित होने के कारण केरल में गर्म मौसम है। यहाँ की धरती की उच्च-निम्न स्थिति भी जलवायु पर बड़ा प्रभाव डालती है। केरल की ऋतुओं को तीन भागों में बाँट सकते हैं - पश्चिमी वर्षा काल (जून-सितंबर), पूर्वी वर्षा काल (अक्टूबर - दिसम्बर), ग्रीष्म काल (जनवरी - मई)। ग्रीष्म को पुनः दो भागों में बाँट सकते हैं - जनवरी - फरवरी और मार्च - मई। फरवरी की सर्दी नाम मात्र की होती है। यहाँ तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं जाता है। मार्च से मई तक कस कर गर्मी पड़ती है। केरल के समुद्र तटीय क्षेत्र का तापमान कभी भी 17.5 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं हुआ है। (5) गर्मी के मौसम का औसत तापमान 32 डिग्री सेल्सियस और 38 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।
केरल की जलवायु की विशेषता है शीतल मन्द हवा और भारी वर्षा। प्रमुख वर्षाकाल इडवप्पाति अथवा पश्चिमी मानसून है। दूसरा वर्षाकाल तुलावर्षम अथवा उत्तरी-पश्चिमी मानसून है। प्रत्येक वर्ष करीब 120 से लेकर 140 दिन वर्षा होती है। औसत वार्षिक वर्षा 3017 मिली मीटर मानी जाती है। भारी वर्षा से बाढ़ें आती हैं और जन-धन की हानी भी होती है।