केवट नाविक, मछुआरे एवं खेतिहर समुदाय के हैं जो एक विशाल क्षेत्र में फैले हुए है। वे निषाद एवं मल्लाह के नाम से भी जाने जाते हैं। केवट शब्द संस्कृत के शब्द 'कैवर्त' से लिया जाता है जिसका अर्थ 'पानी के निवासी' है। उनके बारे में बहुत सी पौराणिक दन्तकथाएँ जुड़ी हुई हैं। वे रामायण एवं महाभारत जैसे महाकाव्यों में भी वर्णित हैं। केवट अपनी बहादुरी के लिए प्रसिद्ध हैं और 1857 के विद्रोह में उनके द्वारा अंग्रेजों को नदियों को पार करने में बहुत सी परेशानियाँ पैदा की गयी थीं, जिस कारण अंग्रेज़ों ने उन्हें 'अपराधी जनजाति' का नाम दे दिया था। उत्तर प्रदेश में उनके दस उप-समूह या उप-जातियाँ हैं। केवटों का मुख्य प्राकृतिक स्रोत जल है क्योंकि वे बहुत कम भूमि धारक हैं। वे अपने पारम्परिक व्यवसाय, लोगों को नदी पार कराना, सामानों को पानी के रास्ते ले जाना और मत्स्य आखेट से जीविका कमाते हैं। वे सब्ज़ी की खेती एवं नदी के कछार में सिंघाड़ा उत्पादन में भी लिप्त हैं।[1]

  1. Hasnain, Nadeem (2011). Doosra Lucknow. Vani Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5000-850-8.