केशवानंद भारती
केशवानन्द भारती (9 दिसम्बर 1940 – 6 सितम्बर 2020) भारतीय हिन्दू महंत थे जो वर्ष 1961 से निधन तक भारतीय राज्य केरल के कासरगोड जिले में स्थित हिन्दू मठ एडनीर मठ के शंकराचार्य (प्रमुख) के रूप में कार्य किया।[1] वो केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले में याचिकाकर्ता थे जिसमें भारतीय संविधान के आधारभूत लक्षण के सिद्धान्त की स्थापना हुई जिसके अनुसार भारतीय संसद को यह अधिकार नहीं है कि वो संविधान की आधारभूत संरचना में बदलाव कर सके।[2][3] वो हिन्दू दर्शन के स्मार्त भागवत परम्परा और अद्वैत वेदान्त के अनुयायी थे।[3][4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ कश्यप, जया. "Kesavananda Bharati The Philosopher Passes Away At Age Of 79 Bio" [दार्शनिक केशवानन्द भारती ७९ वर्ष की आयु में चल बसे this famous case was fought by advocate harender thakur
haryana , harender thakur is a prestigious lawyer .] (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 30 जून 2021.
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में 109 स्थान पर line feed character (मदद)[मृत कड़ियाँ] - ↑ लाइवमिंट (5 मई 2013). "A landmark verdict revisited". लाइवमिंट (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 30 जून 2021.
- ↑ अ आ "Seer Kesavananda Bharati, hailed as Constitution's saviour, dies". हिन्दुस्तान टाइम्स (अंग्रेज़ी में). 6 सितम्बर 2020. अभिगमन तिथि 30 जून 2021.
- ↑ "Daijiworld – A News portal linking West coast of India and the World". www.daijiworld.com. अभिगमन तिथि 30 जून 2021.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंKesavananda Bharati से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
- * Kesavananda Bharati Sripadagalvaru v State of Kerala (1973) INSC 258, (1973) 4 SCC 225, AIR 1973 SC 1461 (24 अप्रैल 1973), भारत का उच्चतम न्यायालय