के॰आर॰ मीरा
के॰आर॰ मीरा (मलयाली:കെ.ആര് മീര; जन्म 19 फ़रवरी 1970) एक भारतीय लेखिका हैं जो मलयाली भाषा में लिखती हैं। उनका जन्म केरल के कोल्लम जिले के शास्तामकोटा में हुआ। उन्होंने मलयाला मनोरमा में एक पत्रकार के रूप में भी कार्य किया लेकिन बाद में लेखन कार्य पर ध्यान देने के लिए इस कार्य को छोड़ दिया। उन्होंने वर्ष 2001 में कथा साहित्य पर लिखना आरम्भ कर दिया और उनका प्रथम कहानी संग्रह ओर्मायुदे निजरम्बू वर्ष 2002 में प्रकाशित हुआ। तब से अब तक वो पाँच लघु कथा संग्रह, दो दीर्ध कथा संग्रह, पाँच उपन्यास और दो बाल-पुस्तकें लिख चुकी हैं। उन्हें लघु-कथा एवे-मारिया के लिए वर्ष 2009 का केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ।[1][2] उनका उपन्यास आराचार (2012) मलयाली साहित्य के सर्वोत्तम साहित्यिक कार्यों में से एक माना जाता है।[1]
के आर मीरा | |
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जन्म | 19 फ़रवरी 1970 शास्तामकोटा, कोल्लम, केरल, India |
पेशा | उपन्यासकार, लघु कथाकार, पत्रकार, पटकथा लेखक, पत्रकार लेखक, |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विधा | उपन्यास, लघु-कथा |
उल्लेखनीय कामs | एवे-मारिया, आराचार |
खिताब | साहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, ओडक्कुज़ल अवार्ड, वायलार पुरस्कार |
जीवनसाथी | एम एस दिलीप |
बच्चे | श्रुति दिलीप |
के॰आर॰ मीरा | |
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मलयालम भाषा की एक माहान लेखिका 'के॰आर॰ मीरा'। |
पूर्व जीवन और परिवार
संपादित करेंउनका जन्म केरल के कोल्लम जिले के शास्तामकोटा में रामचन्द्रन पिल्लई और अमृताकुमारी के घर में हुआ। उन्होंने स्नातकोत्तर की शिक्षा प्रेषणशील अंग्रेज़ी में गाँधिग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, डिंडिगुल, तमिलनाडु से पूर्ण की।
मीरा अपने पति एम॰एस॰ दिलीप के साथ कोट्टायम के साथ रहीं। उनके पति मलयाला मनोरमा के पत्रकार थे। उनकी पुत्री श्रुति आन्ध्र प्रदेश की ऋषि वैली स्कूल की आवासीय छात्रा हैं।[3]
साहित्यिक जीवन
संपादित करेंवर्ष 1993 में उन्होंने कोट्टायम पर एक मलयालम भाषा के दैनिक में पत्रकार के रूप में काम करना आरम्भ किया। एक बार जैसे ही उसकी कहानियाँ प्रकाशित होने लगी तो उन्होंने वर्ष 2006 में पत्रकारिता को छोड़ दिया और एक लेखिका बन गयीं।[4] उन्होंने जब मनोरमा को छोड़ा था तब वो इसकी वरिष्ठ उप-सम्पादक थीं। उनकी विभिन्न कहानियाँ प्रकाशित हुई हैं जिन्हें उन्हें बहुत से सम्मान और पहचान दिलाई। उन्हें केरल में महिला मजदूरों की दुर्दशा पर कहानियाँ लिखी जिससे उन्हें 1998 में पत्रकारिता का पीयूसीएल मानव अधिकारों का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। इसी शृंखला से उन्होंने केरल प्रेस अकादमी द्वारा चोवारा परमेश्वरम पुरस्कार प्राप्त किया। 2001 में उनके बाल साहित्य के लिए उन्हें दीपालय राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार प्राप्त हुआ। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास अराचार के लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[5] उनके शुरुआती उपन्यासों में आ मराठेयम मरनू मरनू नेजन, मीरा साढ़ू, नेथ्रोनमिलनम और युदासिन्टे सुविशम शामिल हैं। मीरा साधु (डीसी बुक्स, 2008) अपने विवाहित जीवन में कुछ दुखद समय से गुजरने के बाद एक कृष्ण मंदिर में छोड़ दिए गए आईआईटी स्नातक की कहानी कहती है। उनके पांच लघु उपन्यासों को एक किताब में मीरुदे नॉवेलकल (2014) शीर्षक से संकलित किया गया है।
पुरस्कार और सम्मान
संपादित करें1998: पत्रकारिता के लिए पि यु सी एल मानवाधिकार राष्ट्रीय पुरस्कार 1998: चौरा परमेस्वरन पुरस्कार 2001: बाल अधिकारों के लिए दीपालय राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार 2004: ललितांबिका साहित्य पुरस्कार 2004: केरल साहित्य अकादमी द्वारा गीता हिरण्यन बंदोबस्ती पुरस्कार - ओरमायडे नज्मपु 2004: अंकनम लिटरेरी अवार्ड - ओरमायडे नर्जामु [6] 2006: केरल वर्मा कथा पुरस्कार - ओरमायडे नजाम्बु 2006: ई। वी। कृष्णा पिल्लई स्मारक साहित्य पुरस्कार - मोहम्मजा 2006: थोपिल रवि स्मारक साहित्य पुरस्कार - करीनेला 2009: कहानी के लिए केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार - एवे मारिया 2013: ओडक्कुज़ल अवार्ड - आराचारर [7] 2013: उपन्यास के लिए केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार - आराचार्य [8] 2014: वायलार पुरस्कार - आराचार्य [9] 2015: ओमान केरल साहित्य पुरस्कार [10] 2015: केंद्र साहित्य अकादमी पुरस्कार - आराचार्य [11] 2016: दक्षिण एशियाई साहित्य के लिए डी एस सी पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया - हैंगवोमन (जे। देविका द्वारा अनुवादित) [12] 2018: मुत्तथु वर्के पुरस्कार - आराचार्य
ग्रन्थसूची
संपादित करेंउपन्यास
संपादित करें- नेत्रोन्मीलनाम
- मीरासधु [प्यार का जहर]
- युदासीन सुवेशम [युदास का सुसमाचार]
- मलकयूड मरुकुकल
- करिणीला
- आ मराथियुम मरनौ मरनु नजन
- आराचारर (2012) (हैंगवुमन: एवरी लव्स ए गुड हैंगिंग)
- सोर्याने अनिन्जा ओरु श्रीति
- घटकां
लघुकथा का संग्रह
संपादित करें- सर्पजन्म जी (2001)
- ऑरमयूड नर्ज़ाम्बु (2002) (द वीन ऑफ़ मेमोरी)
- मोह मंजा (2004) (पीला लालसा का रंग है)
- एवे-मारिया
- के आर। मीरुदे कठकाल
- गिलोटिन
- मीरयूड नॉवेलकल (2014)
- पेंपंजातन्द्रम [2016]
- भगवन्ते मरनम [2017]
यादें
संपादित करें- मजहिल परकुनना पक्शिकल
- एते जीवतीत्तले चिलर
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ "ആരാച്ചാര് മലയാളത്തിലെ ഏറ്റവും നല്ല നോവലുകളിലൊന്ന് : ഡോ". मूल से 28 जुलाई 2015 को पुरालेखित.
- ↑ ""Sahitya Akademi awards announced"". मूल से 8 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 मई 2015.
- ↑ Varuna Verma (18 January 2015). "'A writer is inherently a feminist, humanist, environmentalist and a socialist'". Telegraph. मूल से 10 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 February 2015.
- ↑ Nandini Nair. "Telling Herstory". बिज़नस लाइन. अभिगमन तिथि 13 February 2015.
- ↑ "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.
- ↑ "Ankanam award for KR Meera". Deccan Herald. 8 मार्च 2004. मूल से 12 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 फ़रवरी 2015.
- ↑ "കെ ആര് മീരയുടെ ആരാച്ചാറിന് ഓടക്കുഴല് പുരസ്കാരം" Archived 2014-01-14 at the वेबैक मशीन. DC books. 12 January 2014. Retrieved 23 March 2014.
- ↑ "2013-ലെ കേരള സാഹിത്യ അക്കാദമി അവാര്ഡുകള് പ്രഖ്യാപിച്ചു" (PDF). Kerala Sahitya Akademi. December 2014. मूल (PDF) से 13 June 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 December 2014.
- ↑ "K R Meera gets Vayalar award". Business Standard. 11 October 2014. मूल से 18 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 October 2014.
- ↑ "ഒമാന് കേരള സാഹിത്യ പുരസ്കാരം കെ.ആര്. മീരയ്ക്ക്" Archived 2015-02-12 at the वेबैक मशीन. DC books. 12 February 2015. Retrieved 12 February 2015.
- ↑ "KR Meera wins Kendra Sahitya Akademi award"[मृत कड़ियाँ]. Malayala Manorama. 17 December 2015. Retrieved 17 December 2015.
- ↑ "DSC Prize 2016 Finalists". DSC Prize. 26 November 2015. मूल से 30 नवंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 November 2015.