कुट्टीकृष्ण मरार
भारतीय लेखक
(के. एम. कुट्टिकृष्णन मारार से अनुप्रेषित)
कुट्टीकृष्ण मरार (मलयालम: കുട്ടികൃഷ്ണമാരാര്, जन्म: 14 जून 1900 – मृत्यु: 6 अप्रैल 1973), भारत के केरल राज्य से एक भारतीय निबंधकार और साहित्यिक आलोचक थे। उन्होने साहित्यिक आलोचना को नया आयाम देने का साहस दिखाया। उन्हें साहित्य में आराधना और नकलचियों से घृणा दिखाने में कोई झिझक नहीं होती थी। 'भरथपर्यादनम' उनकी महत्वपूर्ण आलोचनात्मक कृति है जो महाभारत का एक महत्वपूर्ण अध्ययन से जुड़ी है। उन्हें 1966 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया।[1]
कुट्टीकृष्ण मरार | |
---|---|
जन्म | जून 14, 1900 Triprangode, Malappuram district |
मौत | 6 अप्रैल 1973 Kozhikode, Kerala, India | (उम्र 72 वर्ष)
पेशा | Writer, Literary Critic |
राष्ट्रीयता | Indian |
उल्लेखनीय कामs | Bharatha Paryadanam, Kala Jeevitam thanne, Malayala Saili |
खिताब | |
जीवनसाथी | Narayanikutty Marasyar |
रिश्तेदार |
|
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Sahitya Akademi Awards 1955-2007". sahitya-akademi.gov.in. मूल से 28 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 जुलाई 2014.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- ‘Marar, a great inspiration for me’ (अँग्रेजी में)
- Vayalar award for work on Kuttikrishna Marar (अँग्रेजी में)
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |