कैंची, हाथ से चलाया जाने वाला काटने का उपकरण है।

कातर

कैंची के दोनों भागों को अवपात ठप्पे (drop stamps) से गढ़कर बनाया जाता है। इसके लिए जो इस्पात काम में आता है, वह उस्तरे के इस्पात से घटिया होता है। गढ़ जाने के बाद दोनों भागों को कठोर इस्पात के पेंच द्वारा दो प्रकार से लगाया जाता है। प्रथम विधि में कैंची के दोनों फल एक दूसरे की ओर झुके रहते हैं, जिससे काटनेवाली धारों की समीपता बनी रहे।

अँगूठा और अँगुली फँसाकर सुगमता से कार्य करने के लिए कैंची के फल के दोनों सिरों पर धनुषाकार आकृति घातवर्ध्य ढलाई (malleable casting) के द्वारा बनाई जाती है ओर बाद में इस्पात का फल इन आकृतियों में लगा दिया जाता है। ऐल्यूमिनियम की धनुषाकार आकृतियाँ भी ठप्पा ढलाई (die casting) द्वारा तैयार कर फल में लगाई जाती हैं। ऐसी कैंचियाँ देखने में सुंदर और काम में हल्की होती हैं। बाल काटने, कपड़ा काटने, कसीदा तथा सलमा लगाने, बागवानी तथा शल्यचिकित्स आदि विभिन्न कार्यों के लिए विभिन्न आकृतियों की कैंचियाँ बनाई जाती हैं।