कैरोलीन लीकी
कैरोलीन वूलमर लीकी (८ मार्च १८२७ - १२ जुलाई १८८१) अंग्रेजी भाषा की लेखिका थीं। उनकी कविताएँ और उपन्यास ( द ब्रोड ऐरो ) उनके जीवन अनुभवों पर आधारित हैं। उन्होंने १८४८ से १८५३ तक अपनी ज़िन्दगी तस्मानिया में बितायी। उनके द्वारा लिखे गए साहित्य सभी इन्ही पांच सालों के अनुभवों पर आधारित है।
कैरोलीन लीकी | |
---|---|
जन्म | Caroline Woolmer Leakey 8 मार्च 1827 Exeter, Devon, England |
मौत | 12 जुलाई 1881 Exeter, Devon, England | (उम्र 54 वर्ष)
दूसरे नाम | Oliné Keese |
राष्ट्रीयता | British |
विधा | Fiction, poetry |
उल्लेखनीय कामs | The Broad Arrow (1859) |
जीवन
संपादित करेंलीकी का जन्म एक्सेटर में हुआ था। यह इंग्लैंड के डिवॉन देश में स्तिथ है। यह ग्यारह बच्चों में छठी थी। उनके पिता, जेम्स लीकी, एक कलाकार थे, और उनकी माँ का नाम एलिज़ा हुब्बार्ड वूलमर था। लीकी अपनी सारी उम्र बीमार रहती थी। वह एक उत्सुक पाठक थी। जब जब उसका स्वास्थ्य ठीक रहता था, वह धर्मार्थ और धार्मिक कामों में भाग लेती थी।
कैरलाइन १८४७ में वान डेमियन के ब्रिटिश कॉलोनी को अपनी बहन एलिज़ा से मिलने गयी। एलिज़ा वहाँ अपने पति, जेम्स मेडलैंड के साथ ज़िन्दगी बसा चुकी थी। कैरलाइन का स्वास्थ्य वहाँ पहुँचने पर बिगड़ गयी थी। उनका स्वस्थ्य ख़राब होने के वजह से उन्होंने अपना सारा समय वान डेमियन (तस्मानिया ) में अपने बिस्तर में बिताया। उन्होंने १२ महीने पोर्ट आर्थर के कन्विक्ट सेटलमेंट में बिताया। होबार्ट को वापस आते ही वह फिर बीमार पड़ गयी और अपने परिवार के आग्रह के कारण वह इंग्लैंड वापस चली गयी, जहाँ वो मार्च १८५४ में चल बसी।
बिशप फ्रांसिस निक्सन के प्रोत्साहन से उन्होंने अपनी कवितायों को प्रकाशित किया। लीकी ने 'लयरा ऑस्ट्रलिस' और 'अटेम्प्ट्स टू सिंग इन ए स्ट्रेंज लैंड' नामक कविता संकलन प्रकाशित १८५३ लंदन में और १८५४ होब्बेर्ट में प्रकाशित किया। यह कवितायेँ ज़्यादातर बीमारी और मौत, बचपन, युवा एवं मातृत्व के बारे में बात करती हैं। इसके आलावा इन कविताओं में लीकी ने धार्मिक विषयों के बारे में भी बताया है।
मार्च १८५७ में लीकी ने एक उपन्यास लिखना शुरू किया, जो १८५९ में लंदन में और १८६० में होब्बेर्ट में प्रकाशित हुआ। इस उपन्यास का नाम था - 'द ब्रोड एरो' जो "ओलिने कीस" के उपनाम से प्रकाशित हुआ। 'द ब्रोड एरो' को लोग एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामजिक पत्र मानते है। इस उपन्यास में एक कैदी कहानी का नायक है। मार्कस क्लार्क़े ने लीकी के उपन्यास को 'रिफरेन्स' के रूप में लेकर अपना उपन्यास ' फॉर द टर्म ऑफ़ हिस नेचुरल लाइफ' लिखा था। 'द ब्रोड एरो' दुनिया के दो कैदी उपन्यासों में से एक है जिसमे एक महिला अपराधी नायिका के पात्र में प्रस्तुत है। कॉलोनी में बहुत काम समय बिताने के बावजूद लीकी के लेखन से पता चलता है कि वह एक तस्मानिया के जीवन कि एक उत्सुक पर्यवेक्षक थी। लीकी के काम से हमे तस्मानिया के औरतों के दैनिक जीवन के बारे में मालूम है।
लीकी ने १८६१ में एक्सेटर में गिरे हुए औरतों के लिए एक शाला की स्थापना की। उनके मृत्यु के पहले उन्होंने काफी सारे धार्मिक पत्र लिखे। लीके १८ महीने बीमारी स ग्रस्त, १८८१ में आखिर चल बसी।