कॉज और एफेक्ट वेब
कॉज और एफेक्ट वेब एक रेखाचित्र आयौजक है। इसे एक विशलैषण उपकरंण भी कहते है।[1] इस उपकरण का अाविशकार १९९० मे किया गाया था। इस उपकरण का उपयोग पढाने मे किया जाता है। इस उपकरन के सहायता से छात्र कारण और परिणाम एक साथ प्रदर्शन कर सकते है। इसे प्रोफ़ेसर इसकावा द्वारा प्रकाशित किया गाया जिस पुस्तक का नाम इनटरोडकसन औफ क्वैलीटी कनटरोल है। इस चित्र को इसकावा या फीसबोन चित्र भी काहते है क्योंकि यह देखने मे मछली के तरह दिखता है। इसे सादा कागज पर भी बानाया जा साकता है। इसे बानाने का तारीका इस तरह है। पहले एक सादा कागज लें कागज के बाऐं तरफ या दायें तरफ एक गोला बानाये, इस गोले से लेकार कागज के अंत तक एक रेखा खींचे। गोला मछली के सिर के तरह दिखे और रेखा अस्थि के तरह दिखना चाहिये। समस्या गोला के अंदर लिखे, अब बीच वाले रेखा के दोनो तरफ तिन और चार गोले बानकार रेखा के द्वारा बिच वाले रेखा से जोढ़ दें। यह चित्र मछलि के कंकाल के तरह दिखता है।
लाभ और हानि
इस यंत्र के सहायाता से छात्र शमस्या के विभन्न कारण का विश्लेषण एक साथ कर सकता है। यह यंत्र छात्र को प्रोत्साहित कारता नई चीज सीखने के लिये। यह छात्र की सोचने कि शक्ति बढाता है।[1] यह यंत्र समय ज्यादा लेता है चित्र बनाने मे। कभी-कभी मुशकिल हो जाता है कारण पता कारण े में।[2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 8 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2015.