कोडगु जिला

कर्नाटक का जिला

निर्देशांक: 12°25′15″N 75°44′23″E / 12.4208°N 75.7397°E / 12.4208; 75.7397 कोडगु (या आंग्ला भाषा में कूर्ग Coorg) भारत के कर्नाटक प्रान्त का एक जिला है। इसका मुख्यालय मडिकेरि में है। पश्चिमी घाट पर स्थित पहाड़ों और घाटियों का प्रदेश कोडगु दक्षिण भारत का एक प्रमुख पर्यटक स्‍थल है। कर्नाटक का यह खूबसूरत पर्वतीय स्‍थल समुद्र तल से 1525 मीटर की ऊँचाई पर है। यहां की यात्रा एक न भूलने वाला अनुभव है। कोडगु के पहाड़, हरे-भरे जंगल, चाय और कॉफी के बागान और यहां के लोग मन को लुभाते हैं। कावेरी नदी का उदगम स्‍थान कोडगु अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के अलावा हाइकिंग, क्रॉस कंट्री और ट्रेल्‍स के लिए भी मशहूर है।

कोडगु (कूर्ग)
—  जिला  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य कर्नाटक
तहसील मडिकेरि, सोमवारपेट, विराजपेट
मुख्यालय मडिकेरि


उपायुक्त के आर निरंजन
जनसंख्या
घनत्व
5,48,561 (2001 के अनुसार )
• 134/किमी2 (347/मील2)
आधिकारिक भाषा(एँ) कन्नड़, कोडव तक्क
क्षेत्रफल 4,102 km² (1,584 sq mi)
आधिकारिक जालस्थल: www.kodagu.nic.in

मुख्य आकर्षण

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नागरहोळे राष्‍ट्रीय उद्यान

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नागरहोळे राष्‍ट्रीय उद्यान

यह राष्‍ट्रीय उद्यान दक्षिण भारत का एक प्रमुख अभयारण्‍य है। इस स्‍थान पर पहले राजाओं की शिकारगाह हुआ करती थी। आज यह स्‍थान हाथी, बाघ, चीतों के लिए प्राकृतिक वातावरण उपलब्‍ध कराता है। इसके अलावा यहां गौर, हिरन और लंगूर जैसे छोटे जानवर भी देखे जा सकते हैं। पूरे वर्ष यहां का मौसम ठंडक भरा रहता है। यहां पहुंचने में थोड़ी कठिनाई होती है इसलिए यह उद्यान अन्‍य की अपेक्षा शांत है। यहां पर सफारी का आनंद भी उठाया जा सकता है।

मडिकेरि कोडगु का जिला मुख्‍यालय है। इसका नाम यहां के पहले शासक मुद्दुराजा के नाम पर पड़ा। भारत के स्‍कॉटलैंड के नाम से मशहूर यह जगह एक खूबसूरत पहाड़ी नगर है। यहां पर स्थित महल, किला, ओंमकारेश्‍वर मंदिर, राजा की सीट और अब्‍बी फॉल्‍स बहुत प्रसिद्ध हैं। मडिकेरि मैसूर से करीब 120 किलोमीटर दूर है।

कुशालनगर

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यह एक अच्‍छा पिकनिक स्‍पॉट है। यहां का वातावरण कोडगु की अन्‍य जगहों से सर्वथा भिन्‍न है। यहां पर आर्द्रता का स्‍तर मडिकेरि से अधिक है। कुशालनगर में और इसके आसपास अनेक पिकनिक स्‍पॉट हैं जिनमें से कुछ हैं- वीरभूमि, निसर्गधाम, तिब्‍बती मॉनेस्‍ट्री, स्‍वर्ण मंदिर और हरंगी बांध।

इर्पू फॉल्‍स

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दक्षिण कोडगु में ब्रह्मगिरी पर्वतमाला के अंतर्गत इर्पू नाम का एक पवित्र स्‍थान है। इसी के पास लक्ष्‍मण तीर्थ नामक नदी बहती है। किवदंतियों के अनुसार सीता की खोज में राम और लक्ष्‍मण यहां से गुजरे थे। राम के पानी मांगने पर लक्ष्‍मण ने ब्रह्मगिरी पर्वत पर तीर मारकर लक्ष्‍मण तीर्थ नदी निकाली थी। यह नदी इर्पू फॉल्‍स में गिरती है। इस स्‍थान के बारे में माना जाता है कि यहां आने से व्‍यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। प्रतिवर्ष शिवरा‍त्रि के दिन हजारों की संख्‍या में श्रद्धालु यहां आते हैं।

कक्‍कब्बे

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कक्‍कब्बे दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे बड़ा शहद उत्‍पादक है। लेकिन लोग यहां स्थित पडी इग्गुतप्पा मंदिर के कारण अधिक आते हैं। यह कोडगु का सबसे प्रमुख मंदिर है। यहां के नालनाड महल का निर्माण हंटिंग लॉज के रूप में हुआ था। आज इस जगह का प्रयोग बच्‍चों के कैंप के रूप में होता है। यहां के शहद फार्मों को देखना रोचक अनुभव है।

 
कुर्ग की ओर जानेवाला मनोहारी रास्ता

वायु मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा मैसूर (१२० कि मी) और मंगलोर (135 किलोमीटर) हैं। रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्‍टेशन मैसूर, मंगलोर और हासन हैं। सड़क मार्ग: बैंगलोर से मैसूर के रास्‍ते कुर्ग पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा बैंगलोर से नेलमंगल, कुणिगल, चन्नरायपट्ना होते हुए भी कुर्ग पहुंचा जा सकता है। ये तीनों जगहें राष्‍ट्रीय राजमार्ग पर स्थित हैं। चन्नरायपट्ना से राज्‍यमार्ग से होते हुए कुर्ग जा सकते हैं। इसके अलावा बसों के जरिए भी यहां पहुंच सकते हैं।

कोडागु पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलान पर स्थित है। इसका भौगोलिक क्षेत्रफल 4,102 वर्ग किमी (1,584 वर्ग मील) है। जिले की सीमा उत्तर पश्चिम में दक्षिण कन्नड़ जिले, उत्तर में हसन जिले, पूर्व में मैसूर जिले, पश्चिम में केरल के कासरगोड जिले और केरल के कन्नूर जिले से लगती है। दक्षिण पश्चिम में, और दक्षिण में केरल का वायनाड जिला। यह एक पहाड़ी जिला है, जिसकी सबसे कम ऊंचाई मकुट्टा के पास समुद्र तल से 50 मीटर (160 फीट) ऊपर है। सबसे ऊंची चोटी, तडियांडमोल, 1,750 मीटर (5,740 फीट) तक बढ़ जाती है, पुष्पगिरी के साथ, दूसरी सबसे ऊंची, 1,715 मीटर (5,627 फीट) है। कोडागु में मुख्य नदी कावेरी (कावेरी) है, जो पश्चिमी घाट के पूर्वी हिस्से में स्थित तलकावेरी से निकलती है, और इसकी सहायक नदियों के साथ, कोडागु के बड़े हिस्से में बहती है।

कोडगु के नाम की उत्‍पत्ति को लेकर कई कहानियां कहीं जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि कोडगु शब्‍द की उत्‍पत्ति क्रोढदेसा से हुई है जिसका अर्थ होता है कदावा जनजाति की भूमि। कुछ अन्‍य लोगों का मानना है कि कोडगु शब्‍द, दो शब्‍द से मिलकर बना है - कोड यानि देना और अव्‍वा यानि माता, जिससे इस स्‍थान को माता कावेरी को समर्पित माना जाता है। प्राचीन तमिळ काव्यों में इस प्रदेश का उल्लेखन किया गया है "कुडु मलै"। कोडव जनपद गीतों में यही उल्लिखित गय है "कोडुमाले"। इसका अर्थ है ऊंछी पर्वत श्रेणी का प्रदॅश।

कोडगु के ऐतिहासिक आंकडों पर अगर नजर डाली जाएं तो पता चलता है कि यह लगभग 8 वीं सदी में बसा था। कोडगु में गंगा वंश का शासन सबसे पहले था। बाद में कोडगु कई शासकों और वंशजों की राजधानी बना जैसे - पांडवों, चोल, कदम्‍ब, चालुक्‍य और चंगलवास आदि।

होयसाल ने कोडगु में 1174 ई. पू. अपना आधिपत्‍य जमा लिया था। बाद में 14 वीं शताब्‍दी में यहां विजयनगर शासकों का साम्राज्‍य हो गया था। इसके पश्‍चात कई शासकों का शासन, कोडगु में हुआ। अंत में अंग्रेजो ने भी कोडगु पर आधिपत्‍य जमा लिया। उन्ही से दिया गया नाम है "कूर्ग"।

आजादी से पहले 1947 तक कोडगु पर अंग्रेजों ने अपना शासन जमाया और 1950 तक यह एक स्‍वंतत्र राज्‍य था। 1956 में इसे राज्‍यों के पुर्नगठन के दौरान कर्नाटक राज्‍य का हिस्‍सा बना दिया गया।[1] इस छोटे से जिले में तीन् तालुक आते है - माडिकेरी, सोमवारापेटे और वीराजापेटे।

जनसांख्यिकी

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आदर्श स्थल

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अब्बे फॉल्स

इन्हें भी देखें

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  1. "When Kodagu merged with Mysore: A short political history of the region".

बाहरी कड़ियाँ

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