कोणधारी कोण
कोण या शंकु (अंग्रेज़ी: cone, कोन) कुछ ठन्डे इलाक़े के वृक्षों पर उगने वाले फल-नुमा अंग होते हैं (लेकिन यह वास्तव में फल नहीं होते)। जिन वृक्षों पर यह उगते हैं उन्हें कोणधारी (conifer, कोनिफ़र) कहा जाता है। इन शंकुओं में पेड़ों के जनन के लिए आवश्यक भाग होते हैं। मादा शंकु अकार में बड़े होते हैं और उनमें बीज बनते हैं जबकि नर शंकु अकार में बहुत छोटे होते हैं और उनमें पराग बनता है। चीड़ के दरख़्तों के नीचे जो कोण पड़े हुए नज़र आते हैं वह वास्तव में बड़े अकार वाले मादा शंकु होते हैं। एक वृक्ष के नर कोणों में बना पराग हवा के प्रवाह से दुसरे वृक्ष की मादा कोणों तक पहुँचता है और फिर उन मादा कोणों में पेड़ के बीज उत्पन्न होते हैं।[1]
चित्रदीर्घा
संपादित करें-
A pine cone covered in ice after an ice storm.
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Male cones of a pine
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A classic example of a Lebanese Cedar cone.
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Immature female pine cone
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Pollen cone of a Japanese Larch
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Pineapple gall on Sitka Spruce caused by Adelges abietis.
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Dozens of male cones (orange and flower-like) occur in a cluster; the female cone is still immature (olive green). Lodgepole Pine.
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Blue spruce with cones
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Young female cones of loblolly pine receptive for pollination.
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Loblolly pine male cones ready to cast pollen.
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Cross section of maturing shortleaf pine cone showing seeds (arrows).
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Loblolly pine branch with cones of different ages; 2-yr old cones will disperse seeds during fall and winter.
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Cluster of Norway Spruce cones on Hokkaidō.
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Arborvitae cone.
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Pine cones jam (Ukraine).
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Pinus canariensis male cone in Gran Canaria.
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Biology, Eldra Pearl Solomon, Linda R. Berg, Diana W. Martin, Cengage Learning, 2004, ISBN 978-0-534-49276-2, ... Pine is heterosporous and produces microspores and megaspores in separate cones. Male cones produce microspores that develop into pollen grains (immature male gametophytes) that are carried by air currents to female cones ...