कोपेत दाग़
कोपेत दाग़ या कोपे दाग़ (तुर्कमेनी: Köpetdag, फ़ारसी: کپهداغ, अंग्रेज़ी: Kopet Dag), जिसे तुर्कमेन-ख़ोरासान पर्वत-शृंखला भी कहा जाता है, तुर्कमेनिस्तान और ईरान की सरहद पर ६५० किमी तक चलने वाली एक पर्वत शृंखला है। यह कैस्पियन सागर से पूर्व में स्थित है और तुर्कमेनिस्तान में इस शृंखला का सबसे बुलंद शिखर २,९४० मीटर ऊंचा एक पहाड़ है जो तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्क़ाबाद के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। ईरान की ज़मीन पर इस पहाड़ी सिलसिले का सबसे ऊंचा शिखर ३,१९१ मीटर ऊंचा है।
नाम
संपादित करें'दाग़' शब्द का अर्थ तुर्की भाषाओँ में 'पर्वत' होता है। इस शब्द में 'ग़' के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह बिना बिंदु वाले 'ग' के उच्चारण से ज़रा अलग होता है।
विवरण
संपादित करेंकोपेत दाग़ में रेतीली शुष्क पहाड़ियाँ, ऊँचे पठार और गहरी वादियाँ मिलती हैं। इस इलाक़े में भूकंप आते रहते हैं। १ मई १९२९ को यहाँ आए एक ज़लज़ले में लगभग ३,८०० लोगों की मृत्यु हुई थी।[1] तुर्कमेन राजधानी अश्क़ाबाद के पास कोपेत दाग़ की छोटी पहाड़ियों में प्राचीन 'निसा' (نسا, Nisa) नामक पार्थियाई शहर के खँडहर मिले हैं। बहुत से फल कोपेत दाग़ के दक्षिण-पश्चिमी इलाक़ों में जंगली उगते हुए पाए जाते हैं, जैसे कि अंजीर, सेब, अंगूर, गिलास (चेरी) और अनार की जंगली नस्लें।[2]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ A History of Persian Earthquakes Archived 2016-05-31 at the वेबैक मशीन, N. N. Ambraseys, C. P. Melville, Cambridge University Press, 2005, ISBN 978-0-521-02187-6, ... 1929 मई 1 Kopet Dagh. During the evening a catastrophic earthquake shook northeastern Persia and the Soviet Turkmen ...
- ↑ Pomegranate Roads: A Soviet Botanist's Exile from Eden, Gregory Moiseyevich Levin, Translated by Margaret Hopstein, Pomegranate Roads, 2006, ISBN 978-0-9649497-6-8, ... Since the 1870s, when Russia colonized the Trans-Caspian Krai (present-day Turkmenistan), many researchers were attracted by the astonishing natural treasures of the southwestern Kopet Dag ... There are 42 varieties of fruiting plants in the gorges. Wild pomegranates, figs, grapes, cherry-plums, blackberries, hawthorns, apples, pears have their origin here. All in all there are 720 kinds of useful plants ...